पायलट कैसे हो गए हार के लिए जिम्मेदार?

sachin 43अजमेर के कुछ कांग्रेसियों का मानना है कि जिले की सभी आठ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की हार के लिए अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट जिम्मेदार हैं। उनका मानना है कि उनकी रीति-नीति की वजह से ही कांग्रेस की यह हालत हुई है। साथ ही ये भी कि जब हर अच्छे काम का सेहरा उनको बांधा जाता है तो हार की जिम्मेदारी भी उनकी ही बनती है। पूर्व उप मंत्री ललित भाटी तो एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहते हैं कि अजमेर में सोनिया व राहुल वाल कांग्रेस तो है नहीं, यहां सचिन पायलट की कांग्रेस है, जिसने पांच साल तक उनकी जिंदाबाद करने के अलावा कुछ भी नहीं किया।
इसमें कोई दोराय नहीं कि अजमेर जिले में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलने की वजह से सचिन के लिए लोकसभा चुनाव में दिक्कत आएगी, मगर इसके लिए अकेले उन्हें जिम्मेदार ठहराना तनिक गले नहीं उतरता। सब को पता है कि पूरा मीडिया बार-बार चिल्ला-चिल्ला कर यह कहता रहा कि सचिन की पसंद की मात्र एक सीट अजमेर दक्षिण की थी, जहां से हेमंत भाटी चुनाव लड़े। बाकी की सारी सातों सीटें अशोक गहलोत की मर्जी से ही तय हुईं। जब सचिन की सिफारिश से टिकटें दी ही नहीं गई तो उन पर हार के लिए उन्हें दोषी कैसे ठहराया जा सकता है। उससे भी बड़ी बात ये कि अकेले अजमेर में ही कांग्रेस की यह दुर्गति तो नहीं हुई, पूरे प्रदेश सहित चारों हिंदी भाषी राज्यों में चली कांग्रेस विरोधी लहर के चलते अनेक दिग्गज धराशायी हो गए।
यहां उल्लेखनीय है कि मीडिया बार-बार यह दुहराता रहा कि सचिन अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को टिकट दिलवाना चाहते थे, ताकि उसके साथ अजमेर दक्षिण में भी सिंधियों के वोट हासिल किए जा सकें, मगर ऐसा हुआ नहीं। नतीजतन अजमेर उत्तर तो हारे ही अजमेर दक्षिण में ज्यादा बुरी तरह से हारे। हालांकि यहां भी प्रदेश व्यापी लहर का असर रहा, इस कारण हार-जीत का मतांतर बहुत अधिक बढ़ गया, मगर स्थानीय समीकरणों ने भी अपना असर दिखाया। पूरे प्रदेश में एक भी सिंधी को टिकट नहीं दिए जाने व भाजपा की ओर से तीन सिंधियों को टिकट मिलने के कारण अजमेर उत्तर का पूरा सिंधी मतदाता तो भाजपा की झोली में गया ही, अजमेर दक्षिण की सीट भी चपेट में आ गई। चूंकि अजमेर उत्तर की तुलना में दक्षिण में सिंधियों के वोट अधिक हैं, इस कारण वहां भाजपा को अधिक फायदा हुआ। इस स्थिति का आभास सचिन को पहले से था, इस कारण वे किसी सिंधी को अजमेर उत्तर से टिकट दिलवाने के लिए अड़े, मगर उसे दरकिनार कर एक बार फिर डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को टिकट दे दिया।
इसी प्रकार पुष्कर की बात करें तो वहां सचिन चाहते थे किसी रावत को टिकट दिया जाए, ताकि वह भाजपा के रावत प्रत्याशी से मुकाबला कर सके, मगर वहां श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ को टिकट दे दिया और वहां रावतों के वोट तो एक तरफा भाजपा की झोली में गए, हिंदूवादी भी लामबंद हो गए। इसी प्रकार मसूदा में किसी मुस्लिम को टिकट देने की राय को भी दरकिनार किया गया और वाजिद चीता ने तो समीकरण बिगाड़ा ही, सचिन से नाइत्तफाकी रखने वाले अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी भी मैदान में आ डटे। बात अगर केकड़ी की करें तो वहां अगर कांग्रेस के बागी व एनसीपी उम्मीदवार पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारियां नहीं होते तो रघु शर्मा आसानी से जीत जाते, मगर हाईकमान मैनेज ही नहीं कर पाया। कुल मिला कर अजमेर जिले में कांग्रेस की हार के लिए अकेले सचिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हां, इतना जरूर है कि अब अजमेर संसदीय क्षेत्र में ब्यावर को छोड़ कर अजमेर जिले की सभी सातों सीटों तथा दूदू विधानसभा सीट पर भाजपा के काबिज हो जाने के कारण सचिन को लोकसभा चुनाव में दिक्कत पेश आएगी।
प्रसंगवश यहां पेश है इंडिया न्यूज की वह क्लिपिंग, जिसमें कुछ कांग्रेसियों ने हार के लिए पूरी तरह से सचिन को जिम्मेदार ठहराया है। क्लिपिंग देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:- http://youtu.be/lGVV1MndWr4

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