चेटीचण्ड के जुलूस में दरगाह पर दिखा कौमी एकता का मंजर

asdargaah gate 21.3.15सिन्धी समुदाय के अराध्य देव भगवान झूलेलाल की जयंती के अवसर पर 21 मार्च को अजमेर में चेटीचण्ड का जुलूस धूमधाम के साथ निकाला गया। जुलूस जब देर रात को यहां ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर पहुंचा तो दरगाह के खादिमों की ओर से जुलूस का शानदार इस्तकबाल किया गया। मौलाई कमेटी के संस्थापक और दरगाह के प्रमुख खादिम सैयद अब्दुल गनी गुर्देजी के साथ खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा, सैयद मोइन हुसैन सरकार, नूर आलम चिश्ती, वकार जमाली, महमूद मियां चिश्ती, जकरिया गुर्देजी, यासीर गुर्देजी आदि ने जुलूस में शामिल कोई एक हजार से भी ज्यादा सिन्धी समुदाय के लोगों के सिर पर बसन्ती रंग की पगड़ी बांधी। दरगाह के बाहर जब हजारों सिर पर बसन्ती रंग नजर आया तो कौमी एकता का मंजर देखने वाला था। सिन्धी समुदाय के लोगों ने जहां मुस्लिम भाइयों के इस्तकबाल का तहेदिल से स्वागत किया वहीं दरगाह के खादिमों ने स्वागत सत्कार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जुलूस में शामिल लोगों को ठंडा पेय पदार्थ भी पिलाया गया। चेटीचण्ड पर निकलने वाला सिन्धी समुदाय का जुलूस हर बार ऐतिहासिक होता है। माना जाता है कि जितने भी समाज हैं उनका सबसे बड़ा जुलूस चेटीचण्ड का ही होता है। जिस तरह चेटीचण्ड का जुलूस भव्य रूप लिए हुए होता है उसी प्रकार दरगाह के खादिम भी जुलूस का शानदार इस्तकबाल करते हैं। सैयद अब्दुल गनी गुर्देजी ने बताया कि वर्ष 1980 में कौमी एकता के नजरिए से इस परम्परा को शुरू किया गया था। उन्हें खुशी है कि आज 35 वर्ष होने पर भी जुलूस का शानदार इस्तकबाल किया गया है। गुर्देजी ने कहा कि दरगाह के आसपास हिन्दू और मुसलमान बड़ी संख्या में रहते हैं। अधिकांश दुकानें सिन्धी समुदाय के लोगों की ही हैं। इस तरह के आयोजन दोनों समुदायों में भाईचारे को बढ़ाते हैं। ख्वाजा साहब के उर्स के बाद जब सरवाड़ शरीफ की दरगाह के लिए ख्वाजा साहब की दरगाह से चादर का जुलूस निकलता है तब हिन्दू समुदाय के लोग भी जुलूस का जगह-जगह स्वागत करते हैं। ख्वाजा साहब की दरगाह एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी बड़ी संख्या में आते हैं। दुनिया में ख्वाजा साहब की दरगाह ही कौमी एकता का पैगाम देने वाला एक मात्र सबसे बड़ा स्थान है। यही वजह रही कि 21 मार्च की रात को दरगाह के बाहर धर्म का भेदभाव ही मिट गया। यह पता ही नहीं चला कि इस जुलूस में कौन हिन्दू और कौन मुसलमान है। जुलूस में शामिल झांकियों का मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी भरपूर आनन्द उठाया। देर रात को जब जुलूस दरगाह के बाहर पहुंचा तो जुलूस में शामिल लोगों ने जबरदस्त उत्साह प्रदर्शित किया। डीजे के शोर और ढोल नगाड़ों की आवाज के बीच ही कौमी एकता का शानदार मंजर नजर आया। सिन्धी समुदाय के प्रतिनिधियों ने मौलाई कमेटी के इस्तकबाल के प्रति आभार जताया है। सिन्धु समुदाय के प्रतिनिधि जयकिशन पारवानी, कंवल प्रकाश किशनानी, गिरधर तेजवानी, नरेन शाहनी, दौलत लौंगानी, जोधा टेकचंदानी, हरि चंदनानी, महेन्द्र तीर्थानी, रमेश लालवानी आदि ने उम्मीद जताई है कि मौलाई कमेटी प्रतिवर्ष इसी तरह चेटीचण्ड के जुलूस का इस्तकबाल करती रहेगी।
देवनानी-भदेल साथ-साथ
चेटीचण्ड के जुलूस में स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और महिला बाल विकास मंत्री अनिता भदेल एक साथ दिखे। दोनों ने सिन्धी परम्परा के अनुरूप छेज की रस्म भी अदा की।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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