शिक्षा बोर्ड नहीं, ठेकेदार तैयार करता है परीक्षा परिणाम

परिणाम से पहले मेरिट वाले विद्यार्थियों की नहीं होती समीक्षा
bser 450अजमेर: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के घोषित 10वीं की परीक्षा के परिणाम में गंगापुर सिटी के एक प्राइवेट स्कूल के 17 विद्यार्थियों के मेरिट लिस्ट में आने से शिक्षा बोर्ड में हलचल मची हुई है। असल में शिक्षा बोर्ड यह बताने की स्थिति में ही नहीं है कि संबंधितविद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं की समीक्षा अथवा जांच कैसे होगी?
10 जून को भले ही स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने बोर्ड मुख्यालय में बैठकर 10वीं का परिणाम घोषित किया हो लेकिन इस परीक्षा परिणाम को तैयार करने में शिक्षा बोर्ड की कोई भूमिका नहीं है। बोर्ड ने परीक्षा परिणाम तैयार करने का काम एक कम्प्यूटर फर्म को ठेके पर दे रखा है। इसे हास्यास्पद ही कहा जाएगा कि विद्यार्थी की उत्तरपुस्तिकाओं से प्राप्त अंक सीधे कम्प्यूटर फर्म को ही भेजे जाते है। फर्म के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ही ओएमआर शीट पर प्राप्त अंकों को दर्ज करते हैं। यह ओएमआर शीट ही बोर्ड कार्यालय में आती है। परीक्षार्थी के रिकॉर्ड के तौर पर बोर्ड के पास ओएमआर शीट ही होती है। परीक्षा परिणाम से पहले जब बोर्ड के अध्यक्ष अथवा सचिव यह कहते है कि परिणाम को अंतिम रूप दिया जा रहा है तो उसमें बोर्ड की कोई भूमिका नहीं होती। बोर्ड के अधिकारी तो सिर्फ कम्प्यूटर फर्म पर ही दबाव डालते हैं। सिर्फ उत्तरपुस्तिकाओं में प्राप्तांक ही नहीं बल्कि स्कूलों द्वारा सत्रांक भी सीधे कम्प्यूटर फर्म के पास जाते है। कौन सा प्राइवेट स्कूल अपने विद्यार्थियों को कितने नम्बर दे रहा है इसकी जानकारी भी बोर्ड को कम्प्यूटर फर्म के द्वारा ही मिलती है।
आवेदन भी ऑनलाइन
प्रदेश भर के विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन भी ऑनलाइन करते हैं। बोर्ड ने यह कार्य भी कम्प्यूटर फर्म को ठेके पर दे रखा है। यह ठेकेदार ही बाद में विद्यार्थियों को परीक्षा प्रवेश पत्र भी उपलब्ध करवाता है। मजे की बात यह है कि बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी इन्हीं आवेदन फार्म को जांचने के लिए ओवरटाइम की राशि वसूलते है। जब ऑनलाइन आवेदन हुआ है तो फिर किस बात की जांच होती है। असल में पूर्व में जब छपे हुए फार्मो पर आवेदन होता था तब बोर्ड में फार्मो को जांचने की प्रक्रिया थी, लेकिन पुरानी परम्परा आज तक चली आ रही है।
आसान नहीं है उत्तरपुस्तिका देखना
उत्तरपुस्तिका दिखाने का कार्य भी शिक्षा बोर्ड ने कम्प्यूटर फर्म को ठेके पर दे रखा है, लेकिन उत्तर पुस्तिका देखना भी आसान नहीं है? उत्तर पुस्तिका देखने के लिए विद्यार्थी को ई-मित्र केन्द्र से आवेदन करना होगा। इसके बाद विद्यार्थी के पास मोबाइल पर पासवर्ड आएगा और फिर इस पासवर्ड के माध्यम से कम्प्यूटर पर ही उत्तरपुस्तिका देखने को मिलेगी। यदि किसी विद्यार्थी को हार्डकॉपी चाहिए तो उसे कम्प्यूटर के जरिए ही हॉडकॉपी की प्रति लेनी होगी। एक उत्तरपुस्तिका दिखाने के लिए बोर्ड 300 रुपए की वसूली करता है।
परिणाम से पहले हो समीक्षा
दसवीं के परिणाम में एक ही प्राइवेट स्कूल के 17 विद्यार्थियों के मेरिट में आने पर शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने समीक्षा और जांच की बात कही है। सवाल उठता है कि मेरिट वाले विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की समीक्षा अथवा जांच परिणाम से पहले क्यों नहीं होती। जो विद्यार्थी मेरिट में आ रहे है उनकी उत्तरपुस्तिकाओं की जांच परिणाम से पहले कम से कम दो स्तरों पर होनी चाहिए। चूंकि मेरिट के विद्यार्थियों की जांचका कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए बोर्ड के अध्यक्ष व अन्य अधिकारियों को परिणाम की घोषणा के बाद ही पता चला कि एक ही विद्यालय के 17 विद्यार्थी मेरिट में आ गए। इससे परिणाम का मजाक ही कहा जाएगा कि घोषणा के बाद समीक्षा की जाएगी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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