पीएम नरेन्द्र मोदी की पहल पर अजमेर को स्मार्ट बनाने वाली एजेंसी अजमेर विकास प्राधिकरण में पूरी तरह तख्ता पलट हो गया है। इस प्रशासनिक बदलाव में फिलहाल अजमेर को स्मार्ट बनाने का काम जिला कलेक्टर आरुषि मलिक करेंगी।
पिछले एक वर्ष से डीसी धर्मेन्द्र भटनागर अजमेर को स्मार्ट बनाने के अभियान में जुटे हुए थे। भटनागर गत 30 सितम्बर को सरकारी सेवा से रिटायर हो गए। ऐसे में सरकार ने डीसी के पद पर चार्ज भी कलेक्टर मलिक को दिलवा दिया। कलेक्टर के पास डीसी का चार्ज आते ही एडीए में तख्ता पलट हो गया। सरकार ने पूर्व में ही एडीए के अध्यक्ष का अतिरिक्त चार्ज डीसी को दे रख था। ऐसे में कलेक्टर मलिक के पास एडीए के अध्यक्ष का पद भी अपने आप आ गया। एडीए में दूसरा महत्त्वपूर्ण पद आयुक्त का होता है। कलेक्टर के पास अध्यक्ष का चार्ज आते ही आयुक्त श्रीमती स्नेहलता पंवार एक माह के लम्बे अवकाश पर चली गई। हालांकि पंवार ने एक माह के अवकाश लेने का कारण निजी बताया है। लेकिन पूरा प्रशासनिक अमला जानता है कि कलेक्टर से पटरी नहीं बैठने के कारण पंवार अवकाश पर गई हैं। 30 सितम्बर तक जब भटनागर एडीए के अध्यक्ष थे, तब तक पंवार ने पूरे उत्साह के साथ आयुक्त का काम किया। भटनागर के निर्देश पर ही पंवार ने सरकारी अवकाश के दिन भी पसीना बहाया। इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी की बैठकों पर पांच लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिया। भटनागर ने जो कहा वो ही पंवार ने किया। सूत्रों की माने तो श्रीमती पंवार की अंधभक्ति को लेकर कलेक्टर मलिक कई बार नाराज भी हुई। जिला प्रशासन की ओर से पंवार को इशारा भी किया गया था, लेकिन पंवार ने भटनागर के निर्देशों की ही पालना की। श्रीमती पंवार को भी आभास था कि 30 सितम्बर के बाद एडीए के आयुक्त के पद पर काम करना मुश्किल होगा। इसीलिए पहले से ही लम्बा अवकाश लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। पंवार का प्रयास होगा कि इस एक माह की अवधि में अन्यत्र तबादला करवा लिया जाए या फिर सरकार नए डीसी की नियुक्ति कर दे। नए डीसी के आने पर कलेक्टर के पास से एडीए के अध्यक्ष का पद अपने आप छिन जाएगा। हो सकता है कि तब श्रीमती पंवार स्वीकृत अवकाश के बीच में ही आयुक्त का पद फिर से संभाल लें। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो इधर कलेक्ट्रेट में भी अधीनस्थ अधिकारियों में बेचैनी महसूस की जा रही है। अधिकांश आरएएस कलेक्ट्रेट से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। कलेक्ट्रेट में जिस प्रकार आरएएस से एक-दूसरे का काम छीना जाता है, उससे आरएएस स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं। एक आरएएस जो कलेक्ट्रेट में खास महत्त्व रखते थे, उनका भी अब मोह भंग हो गया है। ये अधिकारी भी कलेक्ट्रेट से तुरंत दौड़ लगाना चाहते हैं। चूंकि शीघ्र ही आरएएस की तबादला सूची जारी होने वाली है, इसलिए अधिकांश आरएएस जुगाड़ में लगे हुए हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511