मंत्रीजी की घुड़की का असर…

arvind apoorva
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गर्मी का मौसम अच्छे-अच्छों का पसीना छुड़ा देता है, लेकिन शहर में तो पानी ने ही जलदाय विभाग के अफसरों का पसीना छुड़ा रखा है। ऊपर से मंत्रीजी को शिकायत का डर। है कि नई। भागदौड़ करके जैसे-तैसे पानी की व्यवस्था को सुचारू बना रहे हैं। हालात यह हैं कि खुद के कंठ सूख रहे हैं, लेकिन शहरवासियों के नहीं सूखने दे रहे। एक तो गर्मी और ऊपर से टूटती फूटती पाइप लाइन। अभी कुछ दिन पहले ही बघेरा में लाइन लीकेज हुई तो जैसे सांसें अटक गई। रात-दिन काम कर लाइन को दुरुस्त किया गया। दो दिन तो पानी आपूर्ति को पटरी पर लाने में ही लग गए। इधर, बघेरा से निपटे ही थे कि शहर के आंतेड़ क्षेत्र में दूषित पानी की सप्लाई की शिकायत ने हिलाकर रख दिया। पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया…लेकिन जब पार्षद ने मंत्रीजी को शिकायत की घुड़की दी तो जलदाय विभाग के हाथ पांव फूले। आनन-फानन में आंतेड़ क्षेत्र में पहुंचे और पानी की जानकारी ली। सैंपल भी लिए। डर था कि कहीं अड़वड़ जैसी घटना न हो जाए। खैर यहां बच गए तो राहत की सांस ली। पानी आपूर्ति भी सुचारू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पाइप लाइनें भी लगातार जांची जा रही है। भई गर्मी में होने वाली इस परेशानी की ओर अगर समय रहते ध्यान दे दिया जाए, तो अधिकारियों की ऐसी फजीहत तो न हो। पाइप लाइन टूटना अलग मुद्दा है, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था तो मजबूत होनी ही चाहिए। है कि नई। तभी तो शहर को समय पर शुद्ध पानी मिल पाएगा। है कि नई!
By -: Arvind Apoorva
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