ब्यावर रेलवे स्टेशन पे ट्रेन के इन्तजार में 40 /42 डिग्री तापमान में धुप पे इन्तजार करती जनता । रेलवे सलाहकार समिति और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भी रेलवे विभाग का ध्यान कई बार इस और दिलाया गया लेकिन हमेशा यह कह के तारका दिया जाता हे की हमारे हाथ में कुछ नहीं हे, हमने आगे सिफारिश भेज दी हे ।
लेकिन पुख्ताइंतजाम नहीं हो रहा । ब्यावर रेलवे का स्टाफ का कोई अधिकारी इतनी देर धुप में खड़े रह सकता हे क्या । वो तो आराम में एयर कूल्ड ऑफिस में बेठे हे । बेचारी जनता पुरुष महिला छोटे छोटे बच्चे बुजुर्ग लोग गाड़ी के इंतजार में मज़बूरी में खड़े रहने को मजबूर हे । अगर इतनी तेज धुप में किसी की तबियत बिगड़ गई और कोई गश खा के गिर गया तो उसका जिम्मेदार कोन होगा ??
ब्यावर के साथ हमेशा से ही सोतेला व्यवहार किया गया हे ।
ना तो ट्रेने रोकने की मांग मानी जाती हे और ना ही व्यव्स्था और सुविधाओं पे ध्यान दिया जाता । अधिकाँश पानी की प्याऊ बीऔर बेठने की कुर्सिया दानदाताओ द्वारा उपलब्ध करवाई गई हे । रेलवे के भरोसे तो मूल भुत सुविधाओं के लिए भी आम जन को परेशान होना पड़ता हे ।
BDN के ग्रुप सदस्य गोरव सक्सेना ने जब रेलवे स्टेशन पे यात्रियों को तेज धुप में परेशान होते देखा तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने अपने केमरे से BDN के लिए फोटो खीच ली । छोटे छोटे बच्चो और बुजुर्गो की धुप से हुई दयनीय स्थिति उनसे देखि नहीं गई उनका दिल कांप गया की जब में खुद इतनी तेज धुप में खड़ा नहीं रह सकता हु तो इनका क्या हाल हो रहा होगा ।
हेमेन्द्र सोनी @ BDN ब्यावर