हर नत्था की मौत के बाद ही क्यों…?

arvind apoorva
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आपने पीपली लाइव फिल्म देखी है? हमारे सिस्टम पर चोट करती इस फिल्म के किरदार नत्था जैसी ही कहानी है हमारे शहर के नत्थू की। उस नत्थू ने जीते जी महंगाई, भ्रष्टाचार और हमारे सिस्टम की खामियों को उजागर किया था, और उसका मरना भी इसमें सुधार नहीं कर पाया। हां… मगर मीडिया में नत्था हमेशा छाया रहा। हर जगह… दैनिक दिनचर्या से लेकर मरने तक वो मीडिया की निगरानी में रहा। उसे खाने को अनाज नहीं मिला, लेकिन खुद का फोटो देखने के लिए टीवी जरूर मिल गया। फिल्मी कहानी से अब मैं आता हूं अजमेर में। अजमेर का नत्थू… आप भूले नहीं होंगे। दो दिन पहले कमला नेहरू टीबी अस्पताल में जिंदा जल जाने वाले नत्थू की बात कर रहा हूं मैं। उसकी मौत ने सिस्टम को हिलाकर रख दिया। मीडिया में नत्थू की मौत छाई है। उसकी मौत ने अस्पताल प्रशासन को ही नहीं, जिला प्रशासन और यहां तक कि पूरे स्वास्थ्य मंत्रालय को हिलाकर रख दिया। एक अस्पताल वो भी सरकारी… उसमें एक आदमी का जिंदा जल जाना और स्टाफ को पता तक नहीं चलना…। यह तो हुई अस्पताल की कहानी…। अब बाद प्रशासनिक नुमाइंदों की करूं तो वो भी अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि बैड गंदे हैं, समय पर बैडशीट नहीं बदली जाती और न ही सफाई होती है। हाथों हाथ सफाई अभियान शुरू हुआ। डॉक्टर्स एप्रिन में नजर आए तो रोगियों को भी साफ सुथरे बैड के साथ समय परद उपचार मिलना शुरू हो गया। एक नत्थू की मौत ने पूरे अजमेर के प्रशासनिक अमले को हिलाकर रख दिया। हर कोई अस्पताल पहुंचा और वजह जानी। जांच कमेटी बनी, रिपोर्ट तैयार हुई… लेकिन उसकी मौत के इर्द-गिर्द। रिपोर्ट में उसकी मौत को केंद्र बनाकर जांच की जा रही है कि उसकी मौत कैसे हुई। बीड़ी से या और कोई वजह। इस बात की जांच नहीं की जा रही कि अस्पताल प्रशासन की क्या खामियां रही। हालांकि संभागीय आयुक्त और कलेक्टर के निरीक्षण के बाद काफी हद तक खामियों को दूर किया गया है। मगर बार-बार जहन में यही सवाल उठता है कि क्या यह मुस्तैदी हमेशा रहेगी? क्या अस्पताल के हाल सुधर जाएंगे या सुधर गए? या हालात फिर वैसे ही हो जाएंगे। फिल्म में ओमकार दास मानिकपुरी यानी नत्थू की आत्महत्या की खबरों से खलबली मची थी….। जब तक वो जिंदा था, खबरों में रहा… मरने पर भी… लेकिन कुछ दिन। जिन्होंने फिल्म देखी, पीपली लाइव की वो तस्वीरें भी अब धुंधली हो चली होगी। कुछ ऐसा ही अजमेर में न हो बस। नत्थू की मौत ने जो माहौल पैदा किया है, वह जारी रहे। उसकी मौत बेकार न जाए…। उसके परिवार को तो सहायता मिले ही, लेकिन जो-जो खामियां उसकी वजह से अस्पताल में उजागर हुई हैं, उन्हें हमेशा के लिए दूर किया जाए। फिलहाल तो शहर में एक ही चर्चा है… पीपली लाइव के नत्था और अजमेर के नत्थू ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया।
By-Arvind Apoorva
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