*मदद के नाम पर चंदे का फंडा*
जहा एक ओर मंदी के इस दौर में हर एक वर्ग व्यापार की मार झेल रहे है, वही दूसरी ओर कतिपय मार्बल के व्यापारी पर मायानगरी का मायाजाल ऐसा सवार है कि अपना वजूद के चलते शहर से मदद के नाम पर चन्दा उगाकर मोज मस्ती पर लाखो रूपए उडा रहे है। और चन्दा देने वाले कतिपय लोगो के चेहरे से अपने आप को ठगा सा महसूश कर रहा है।
पिछले दिनों भी ऐसा ही एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसका मकसद भी यही रहा।
जहा देश में अराजकता की स्थिति बनी है वही ऐसे आयोजनों में सरकारी महकमो के आला अफसर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे है।
सितम्बर व अक्टूबर में किशनगढ़ को करीब सवा करोड़ का फटका लगेगा।
ऐसे आयोजनों की सार्थकता तभी है, जब व्यापार प्रगतिशील हो, परिवार के लोग खुशहाल रहे।
मदद होगी तो ऊट के मुँह में जीरा वाली होगी। क्योकि सब जानते है कि ऐसे आयोजन पर लाखो का खर्च तो व्यवस्थाओ पर ही आ जाता है। फिर ऐसे में क्या होगी किसी की मदद?
