नगर परिषद बनाम प्रा.लि. कम्पनी

ब्यावर नगर परिषद का हाल बेहाल हे। यह दुधारू गाय के समान हो गई हे। जिस तरह गाय के स्तनों में इंजेक्शन लगाकर ज्यादा से ज्यादा दूध निचोड़ लेने की नियत ये जल्लाद रखते हे। नगर परिषद के ये कर्णधार ठीक वेसी ही नियत पाले हुए तैयार बेठे रहते हे। *आम जनता से ही चुनिन्दा ये लोग अपनी जनता से ही दुधारू गाय समान आचरण करते कुछ भी शर्म नही करते हे। भवन निर्माण कर्ताओं के साथ इनका बर्ताव तो ऐसा होता हे मानो शहर में आतंकवादी घुस गये हो।* इनकी मनमर्जी का हाल देखिएगा। कही कही सकड़ी गलियों में भी विशाल काम्प्लेक्स धडल्ले से खड़े हो रहे हे। वही अच्छे खासे चोड़े रोड़ पर इनको कानून कायदों की याद जोर मारने लग जाती हे।

आम जनता में नगर परिषद का पिछला बोर्ड ख़ासा चर्चित रहा था। कोई बताता सौ करोड़ का आकड़ा पार हो गया। कोई इससे भी कई ज्यादा के आकडे बताते नही थकते। जितने मुहं उतनी ही बाते। कहावत भी हे कि हम किसी का मुहं पकड़ तो नही सकते…! *नये बोर्ड गठन के बाद यह आम धारणा बनी कि पुराना रिकार्ड ध्वस्त होगा। इसका कारण भी आम था। बोर्ड बनाने में जिस तरह की मशक्कत हुई। वो बेमिशाल थी। उसमे ना तो मुख्यमन्त्री की चली और ना ही आरएसएस की।* सभापति बनाने के पीछे ब्यावर की फिजा में अनेको अफवाहे तेरती रही। वो बाते जिनको सुन सुनकर लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते। इन अफवाहों को बल इसलिए भी मिला कि राज का ही सभापति बना। फिर जिस तरह सत्ता का खेल चला उससे भी अफवाहों में सच्चाई लगने लगी।

अगर हम माने। नगर परिषद आम जनता के लिए उस मन्दिर के समान हे। जहाँ लोगो को अपनी मनोकामना पूरी कराने जाना ही पड़ता हे। यह मनोकामना मकान का नक्शा पास कराने जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र व्यवसायिक भवन सहित आम जीवन से सम्बन्धित कोई भी हो सकती हे। *बिना चढ़ावा चढाये भगवान की मूर्ति लगे वास्तविक मन्दिर में तो लोगो की मनोकामना शायद पूरी भी हो जावे। लेकिन इस शहर के कर्णधारों के इस मन्दिर (न.प.) में बिना चढ़ावे के ऐसी आशा करना ही बेमानी हे।* पिछले दिनों राजस्थान पत्रिका के ब्यावर ब्यूरो भगवतदयाल सिह ने ऐसे ही कुछ खुलासे किये।

सिद्धार्थ जैन
सिद्धार्थ जैन
शहर से आवारा पशुओ को पकड़ने का ठेका हो। सुभाष उद्यान में बच्चो की बंद पड़ी लाखो रुपयों की ट्रेन का घोटाला हो। बारिश पूर्व शहर की सफाई व्यवस्था का मामला हो अथवा नगर परिषद में सफाई कर्मियों की हाजरी में हेरा फेरी हो। ऐसा लगता हे कि सभापति और आयुक्त मिल-झुल कर मनमानी कर रहे हे। ये मामले ऐसे हे जिनमे लाखो रुपयों का फर्जी वाड़ा होना आम बात हे। लेकिन किसी का कोई नियन्त्रण ही नही दिखता। *बाड़ ही खेत को खा रही हे। सभापति भी सत्ता पक्ष के ही विधायक द्वारा नामित की हुई हे। लेकिन विधायक भी इस सब पर नियन्त्रण रखने की मंशा नही रखते दिखते।*

ब्यावर जनप्रतिनिधि के लिए न.प. वह हथियार हे जिसे अगर ईमानदारी से हेंडल किया जावे। वाही वाही हासिल कर सकता हे। जनता में वह अपना बहुत ही ऊँचा मुकाम हासिल कर सकता हे। लेकिन क्या करे…! *न.प. को प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के समान हेंडल किया जा रहा हे। इसने पिछले बोर्ड को ठीक कहलवाना शुरू कर दिया। तब तो ताकत का एक ही केन्द्र हुआ करता। अब कोई ठिकाना नही।* जिसकी जो मर्जी कर रहा हे। शहर के विकास की किसी को कोई चिन्ता नही।
*सिद्धार्थ जैन पत्रकार, ब्यावर (राजस्थान)*
*094139 48333*

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