निजी विद्यालय अब बढ़ाएंगे बच्चों की मानसिक गर्मी

अभिभावक खामोश विद्यार्थी तनाव में
nemi chandअजमेर (नेमीचंद तंबोली)। शहर के निजी विद्यालयों में बड़ी मुश्किल के बाद लगभग अगले सप्ताह ग्रीष्मकालीन अवकाश की तैयारी की जा रही है। अप्रैल की पहली तारीख से लेकर लगभग 18 मई तक बच्चों को जो पढ़ाया गया उससे भी ज्यादा काम आगामी 20 दिनों में मिलने वाला है । इस मामले को लेकर अभिभावक खामोशी हैं वहीं विद्यार्थी तनाव में है।
शहर के विभिन्न निजी शिक्षण संस्थाओं में अप्रैल के प्रथम सप्ताह से शिक्षण कार्य शुरु हो गया था। पाठ्यक्रम का निर्धारण व अन्य नवीन गतिविधियों के बीच महज 15 से 20 दिन तक इन विद्यालयों में कार्यदिवस रहा । इन कार्य दिवसों में अध्यापकों द्वारा संपूर्ण पाठ्यक्रम का लगभग 25 फ़ीसदी भागपूर्ण करवा दिया गया है। नवीन सत्र में विद्यार्थियों की भागमभाग अभिभावकों की व्यस्तताओं के बीच यह 20 दिन कैसे निकल गए पता ही नहीं चला, अब निजी विद्यालय अपने स्टाफ को व्यस्त रखने के लिए नवीन योजनाएं बना रहा है। इधर स्टाफ द्वारा विद्यार्थियों को विगत 20 दिन में जो नहीं पढ़ाया गया उससे भी उच्च स्तर का कार्य देने की तैयारी कर ली है । इस काम की मार से विद्यार्थियों के लिए गर्मियों की छुट्टियां और भी मानसिक गर्मी बढ़ाने का काम करेगी। हालत यह है कि प्रथम कक्षा से नीचे अध्ययन करने वाले जिन बच्चों को मात्राओं का ज्ञान नहीं व जोड़ बाकी उनके बूते की बात नहीं ऐसे विद्यार्थियों को ग्रीष्मकालीन अवकाश में 10 से 15 तक की टेबल वह सुलेख लिखने जैसा काम दिया गया है । इनके अलावा निजी विद्यालय द्वारा ग्रीष्मकालीन समय अवधि की फीस पूर्व में ही जमा की जा चुकी है ,अनेक विद्यालय अपने स्टाफ को ग्रीष्मकालीन समय की तनख्वाह देते हैं और अनेक ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले ही नया स्टाफ रखने की तैयारी कर लेते हैं या फिर शुरुआत के 2 वर्ष तक ग्रीष्म अवकाश का कोई वेतन नहीं देते ,लेकिन अभिभावकों द्वारा पूरी 12 महीने की फीस ली जाती हैं। यहां तक की विद्यालय वाहन का भी 30 मई तक का किराया वसूल किया जाता है ।इस स्थिति के बावजूद विद्यालय द्वारा इन दिनों ग्रीष्मकालीन शिविर का प्रचार प्रसार जोरों पर है। इस शिविरों के माध्यम से यह निजी विद्यालय उन अध्यापकों को व्यस्त रखना चाहता है जिनका 12 महीने का वेतन तय हुआ है दूसरी ओर ग्रीष्मकालीन शिविर का कुछ शुल्क भी निर्धारित कर लिया जाता है। जिससे आय का अन्य स्रोत उत्पन्न भी हो जाता है। अनेक विद्यालय द्वारा ग्रीष्मकालीन शिविर में वही सिखाया जाता है, जो उन्हें नियमित कक्षा-कक्षों में सिखाया जाना चाहिए। जैसे -गेम्स, हस्तलेखन सुधार, विभिन्न उपकरण की शिक्षा, कोशल शिक्षा, नाटक आदि के बारे में जानकारी देना जबकि यह सभी पाठ्यचर्या का एक भाग है ,जो विद्यालय समय में निर्धारित एक कालांश में सिखाया जा सकता है । ग्रीष्मकालीन शिविर के साथ ही बच्चों को मिला अवांछित कार्य बच्चों को जहां नानी का घर भुला देता है वही गृह कार्य को देखकर पूरी गर्मी में भी नानी याद आती रहती हैं।

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