यह अजमेरवासियों का सौभाग्य ही है कि यहां संत स्वामी मूल योगीराज जी पधारे हैं। वे यहां आजाद पार्क में रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा कर रहे हैं। कथा के साथ-साथ वे चमत्कार भी कर रहे हैं। उस चमत्कार का जिक्र बाकायदा उनकी ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में भी हो रहा है।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मसूदा से आये 21 वर्षीय देवेंद्र सिंह सोलंकी के बारे में जब मूल योगीराज को पता चला कि वे जन्म से ही मूक-बधिर हैं, तो उन्होंने देवेंद्र को मंच पर बुलाया और उनके कान में शंख ध्वनि की। पहले एक मीटर दूर से शंख ध्वनि सुनाई और फिर दो, पांच और दस मीटर दूर से शंख ध्वनि सुनाई। यह ध्वनि सुनने के बाद देवेंद्र की श्रवण शक्ति लौट आई। मंच पर युवक ने जब बाबा शब्द का उच्चारण किया तो हजारों लोगों की साक्षी में हुए इस चमत्कार से पंडाल बाबा रामदेव की जय-जयकार से गुंजायमान हो गया।
इसी प्रकार पुलिस लाइन्स स्थित बैंक कॉलोनी निवासी पंकज की 40 वर्षीया पत्नी उमा के बारे में जब मूल योगीराज को पता चला कि वे जन्म से ही बहरी हैं, तो उन्होंने उमा को मंच पर बुलाया और उनके कान में पूर्व की भांति शंख ध्वनि की। यह ध्वनि सुनने के बाद उमा की श्रवण शक्ति लौट आई।
स्वामी जी के इस चमत्कार से यह साबित हो गया है कि आज के अति वैज्ञानिक युग में भी चमत्कार संभव हैं। जो चमत्कार हजारों लोगों के बीच हो रहा है, उस पर यकीन करना ही होगा। अजमेरवासियों के लिए यह बहुत ही सुखद है कि ऐसे संत आए हैं। जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के ईएनटी डिपार्टमेंट को चाहिए कि वह स्वामी जी से संपर्क करे और उनके यहां आने वाले बहरे मरीजों का उनसे इलाज करवाए। ऐलोपैथी में तो इलाज पर कुछ खर्च भी आता होगा, मगर मात्र शंक फूंकने से ही बहरापन दूर हो रहा है तो बेहतर है कि स्वामी जी की निशुल्क चिकित्सा का लाभ लिया जाए। होना तो ये चाहिये कि एमबीबीएस कर रहे छात्रों को भी स्वामीजी के पास भेजना चाहिए, ताकि वे उनसे बहरापन दूर करने की तकनीक सीख सकें। सरकार को ये प्रस्ताव भेजना चाहिए कि मेडिकल कॉलेजों में बहरापन दूर करने का जो कोर्स है, उसे बंद कर दिया जाए और स्वामी जी को जिम्मेदारी दी जाए कि वे छात्रों को यह विद्या सिखाएं। इससे ज्यादा से ज्यादा बीमारों का इलाज हो पाएगा। मूक बधिक विद्यालय के प्रबंधकों को भी चाहिए कि वे अपने यहां पढ़ रहे बच्चों का बहरापन स्वामी जी से दूर करवाएं। इससे पुनीत कार्य हो नहीं सकता। हां, इतना जरूर है कि जो डॉक्टर कान के इलाज की प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनको इससे झटका लगेगा। जब मुफ्त में बहरापन दूर हो सकता है तो काहे हो कोई उनसे इलाज करवाएगा।
कथा करवाने वाले श्रद्धालुओं को भी चाहिए कि वे तुरंत अजमेर के जितने भी जन्म से बहरे हैं, उनका सर्वे करवाएं, ताकि स्वामी जी से उनका इलाज करवाया जा सके। कहीं ऐसा न हो कि स्वामी जी कथा करके अजमेर से चले जाएं और बहरे इलाज से वंचित रह जाएं। होना तो यह चाहिए कि कथा से भी ज्यादा स्वामी जी के इस चमत्कारिक गुण का लाभ लिया जाए। कथा-वथा तो ठीक है, सुनते सब हैं, मगर गुनते कितने हैं, सबको पता है, मगर यदि स्वामी जी की शक्तियों का उपयोग बहरों के उपचार में हो सके तो वह कितना लाभदायी रहेगा। कथा करवाने वाले श्रद्धालु भी पुण्य के भागीदार होंगे। सच में कथा करवाने वाले महानुभाव साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने स्वामी जी जैसे संत को अजमेर में पधारने का निमंत्रण दिया।
आखिर में एक बात और। मीडिया से एक बड़ी शिकायत है। वो ये कि वह स्वामी जी के चमत्कार की खबर को तवज्जो नहीं दे रहा। केवल कथा के बारे में दे रहा है। अरे भाई, अगर कोई संत चमत्कार कर रहा है तो आपको उसे भी प्रकाश में लाना चाहिए। उसमें दिक्कत क्या है? आपकी जर्नलिस्म पॉलिसी के चलते बेचारे कितने बहरे स्वामी जी के चमत्कार से वंचित रह जाएंगे?
-तेजवानी गिरधर
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