मोहन नेता को नहीं करने दी अंदरकोट में नेतागिरी

मोहन नेता के नाम चर्चित मोहन लाल शर्मा ने कच्ची बस्ती फैडरेशन के अध्यक्ष के नाते अंदरकोट में भी कच्ची बस्ती पर संकट को लेकर बैठक की, मगर वहां के स्थानीय नेताओं ने उनकी दुकान नहीं चलने दी।
असल में जिला प्रशासन के निर्देश पर वन विभाग की 700 बीघा जमीन तलाशी के लिए किए जा रहे संयुक्त सर्वे के दूरगामी परिणामों पर विचार-विमर्श के लिए शर्मा ने अंदरकोट में बैठक आयोजित की। अंदरकोट में किसी बाहरी की नेतागिरी चलने नहीं दी जाती, सो मोहन नेता ने कुछ स्थानीय लोगों, जिनमें कि पूर्व पार्षद मुख्तयार अहमद नवाब का भाई व फैडरेशन का उपाध्यक्ष कदीर अहमद शामिल थे, की मदद से लोगों का इकट्ठा किया। जैसे ही इस बात की खबर पंचायत अंदरकोटियान को पता लगा, उसके पदाधिकारियोंं ने मौके पर आ कर आपत्ति जताई। पंचायत पदाधिकारियों का कहना था कि शर्मा कच्ची बस्ती के लोगों को गुमराह कर रहे हैं। पंचायत सदर मंसूर खां, सचिव निसार शेख, वाहिद मोहम्मद, फकरुद्दीन, जाहिद खां, फिरोज खां, ऑडिटर एस एम अकबर आदि ने आरोप लगाया कि शर्मा लोगो को गुमराह कर रहे हैं। सदर मंसूर का कहना था कि अंदरकोट में कोई कच्ची बस्ती है ही नहीं। अंदरकोट में वन विभाग की जमीन तलाशने के लिए किए जा रहे सर्वे पर पंचायत की प्रशासन से बात हो चुकी है। लोगों को समझा दिया गया है कि यहां कोई मकान टूटने वाला नहीं है। इसके बावजूद काहे को फटे में टांग फंसा रहे हो।
ज्ञातव्य है कि इस मामले में पहले से ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने पहल करके प्रशासन से बात की और समस्या का ऐसा समाधान निकालने की कोशिश की, जिससे लोगों के मकान टूटने की नौबत न आए। प्रशासन भी स्थिति को समझते हुए नए सिरे से विचार कर रहा था कि मोहन नेता बीच में टपक पड़े। यहां कहने की जरूरत नहीं है कि इन दिनों रलावता व मोहन नेता के बीच कैसे संंबंध हैं। वैसे भी अंदरकोटियान किसी निहित उद्देश्य के लिए किसी को वहां की नेतागिरी करने देना बर्दाश्त नहीं किया करते। उन्हें अपनी ताकत और कांग्रेस की सरपरस्ती का गुमान है, सो जैसे ही मोहन नेता ने बीच में पडऩे की कोशिश की तो उन्हें रोक दिया गया। मोहन नेता को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। मोहन नेता लाख कहें कि वे फेडरेशन के अध्यक्ष के नाते वहां पहुंचे, मगर जब इलाके के लोगों को उनके सहारे की जरूरत ही नहीं है तो वे क्यों उन्हें वहां घुसपैठ करने देने वाले थे। ये तो वही बात हुई, कोई माने न माने जबरन लाडे की भुआ बनना।
-तेजवानी गिरधर

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