ब्यावर के हालात पर बेबसी के आंसू बहाती आम जनता

हेमेन्द्र सोनी
*पत्रकार विमल चौहान की पीड़ा ने अपने आर्टिकल में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि इस ब्यावर को भ्रस्टाचार के अजगर रूपी दानव ने निगल लिया है, नही तो ब्यावर स्वर्ग होता ।*
जिसमे उन्होंने कहा है कि 80 प्रतिशत समस्याएं तो नगर परिषद से जुड़ी हुई है । नगर परिषद ब्यावर ने भ्रस्टाचार की सारी सीमाएं लांघ ली है इसके बावजूद भी आज तक इस परिषद पर *ACB* की नजर नही पड़ी, किसकी कृपा दृष्टि से यह आज तक बची हुई है, सोचने वाली बात है ।
नगर परिषद में जहां आम आदमी को अपने 50/100 गज के प्लाट पर मकान या दुकान बनाने में सेकड़ो चक्कर लगाने पड़ते है, ओर अपने छोटे से आशियाने के लिए ना जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते है ये तो वही जानता है और इसके विपरीत बड़े बड़े काम्प्लेक्स ओर कालोनियों के नक्शे सुविधा शुल्क के चलते उनके घर पहुचा दिए जाते है ।
परिषद में हलचल भी तभी होती है जब बैठकों की मजबूरी हो, या कोई निजी कार्य हो, या किसी को उपकृत करना हो, नही तो वहां का आलम शांत ही दिखाई देता है ।
भ्रस्टाचार इस कदर विकराल रूप ले चुका है कि कोई नियम, नीति, कानून, उसका कुछ नही बिगाड़ सकता । यहां का हर नियम और कानून केवल लूटने के लिए है ।
सारे नियम और कायदे जनता के फायदे के लिए नही बल्कि उन्हें लूटने के लिए है ।
जनता के नुमाइंदे जनता को राहत दिलाने के बजाय अपनी महत्वकांषाये पूरी करने के लिए प्रयासरत रहते है ।
विकास तो दूर की बात है, उनका केवल एक ही लक्ष्य है कि अपना विकास करना, शहर का विकास इनकी महत्वकांक्षाओ कि भेट चढ़ चुका है । शहर की जनता मूलभूत सुविधाओं तक को तरस गई है, जिसमे आज पार्किंग की समस्या शहर की सवसे बड़ी समस्या बन गई है । नियम विरुद्ध बने अवैध काम्प्लेक्स ओर उनकी पार्किंग आज अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है, पार्किंग की अधिकांश जगह आज दुकानों में तब्दील हो चुकी है, लेकिन अतिक्रमण विभाग मौन धारण कर बैठा है ।
यहां तो हौसले इतने बुलंद है जी लोकायुक्त के आदेश ओर फैसले भी अपनी सुविधानुसार अमल में लाये जाते है ।
अतिक्रमण के अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण के नाम पर लीपा पोती कर खाना पूर्ति कर दी जाती है, अवैध निर्माण को तोड़ते वक्त एक मकान मालिक ने खुले आम स्वीकार की किया कि मेने 5 लाख रुपये दिए है, तो अब उसे कैसे तोड़े ?
अजमेरी गेट सुभाष सर्कल के चारो ओर फैली अघोषित सब्जी मंडी ने वहां की यातायात व्यवस्था केे हालात बिगाड़ दिए है, अजमेरी गेट के दोनों छोटे गेट को हटाकर आज गेट को चोड़ा करने की आवश्यकता है , जिससे आवागमन सुविधजनक हो सके, चांग गेट पर लगने वाला प्रतिदिन का जाम, भगत चौराहे के जाम, पाली बाजार की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था, आदि अनेक जगहों पर ट्रैफिक की स्थिति बड़ी दयनीय हो चुकी है , इससे जनता को जो असुविधा हो रही है उस से किसी को कोई सरोकार नही है ।
अस्पताल में डाक्टरो की कमी से मरीजो को दयनीय स्थिति, शहर के लोगो के लिए असहनीय पीड़ा है ।
नूरा कुश्ती ओर हाथापाई की झलकियां भी परिषद देख चुकी है ।
शहर की टूटी सड़के, खुदी सड़के, पाइप लाइनों के नाम पर शहर की सड़कों की खस्ता हालत, किसी से छुपी नही है ।
पाइप लाइनों के ठेकेदारों द्वारा काम पूरा होने के बाद कई कई माह बीत जाने के बाद भी सड़को की मरम्मत नही कराना ओर संबंधित डिपार्टमेंट के अधिकारियों द्वारा चुप्पी साध लेना भी कही ना कही सोचने को मजबूर करता है ।
मोदी जी ने कहा ना खाऊंगा ना खाने दूंगा लेकिन उनका यह दावा ब्यावर में फेल सावित हो गया है ।
स्वच्छ भारत का गुब्बारा फूटने के बाद किसी को भी दुबारा लगाने की याद नही आई, ओर ना ही कंपनी के खिलाफ कोई एक्शन लिया । गुब्बारा फटते ही हो गया हमारा भारत स्वच्छ ।
एक तरफ शहर परेशान है दुसरी तरफ फोटो से समाज सेवा करने का फैशन चल रहा है । चार पोस्टर शहर की दीवारों पर लगाओ ओर समाज सेवी का स्वयंभू अवार्ड पाओ । किसी जमाने मे समाज सेवी की पदवी हासिल करने में पूरा जीवन खपाना पड़ता था, जनता के लिए , समाज के लिए समय निकाल कर कार्य करना होता था तब समाज ओर जनता की नजरों में समाज सेवी ओर जनसेवक की पदवी हासिल होती थी । आजकल तो फोटो छाप समाज सेवा का फैशन चल रहा है ।
विकास के बजाय जात-पात,धर्म एवं देवी देवताओं के आधार पर वोट माँग कर बने नेताओं को यदि 10 बार भी जनप्रतिनिधी बना दे तो भी विकास के नाटक के नाम पर जन और जनतंत्र के बजाय उनके भायलों और उनकी टोली का ही विकास हो रहा होगा, बाकी आप काफ़ी समझदार है सात दशक के युवा लोकतंत्र के वासी है अपने वोट का स्वतंत्र या परतंत्र रुप से उपयोग होने देना आपकी अपने विवेक की बात है. भगवान सबको भारत के सुखद संसार बनाने के लिये सद्बुद्धी देवे ।
इन हालातों के चलते ब्यावर के लिए विकास एक सपना ही नजर आ रहा है ।
*चुनावी मौसम*
ये साल राजस्थान का चुनावी वर्ष है जैसे जैसे नवम्बर नजदीक आता जाएगा वैसे वैसे शहर ओर प्रदेश का राजनीतिक तापमान बढ़ता जाएगा । नेताओ की गतिविधिया भी धीरे धीरे रफ्तार पकड़ने लगेगी । नए नए चेहरे और पूरे वर्ष ना दिखाई देने वाली कार्यक्रताओ की फ़ौज चुनाव के बरसाती मौसम में टर्राने को आ जाएंगे ।
सोशियल मीडिया के युग में नेताओ के साथ साथ उनके समर्थक, चाटुकार, पिछलग्गू भी अत्यधिक सक्रिय दिखाई पड़ेंगे है, कुछ समर्थक तो अपने नेताओं के पक्ष में शब्दों को डबल चाशनी में डुबोकर पोस्ट डालने से भी परेहज नही करेंगे, जिसे पढ़कर नेता स्वयं असहज हो जाता है ।समर्थकों को ध्यान रखना चाहिये कि ज्यादा मीठे से डायबिटीज जैसी गम्भीर बीमारी हो जाती है और यह ऐसी बीमारी है जो हष्ट पुष्ट शरीर को भी धराशायी कर देती है ।
आज के वक्त में जनता बोहत समझदार है उसे बहलाया फुसलाया नही जा सकता, जनता काम मांगती है जो काम करता है उसे समर्थन देती है वर्ना घर बैठाते देर नही करती । ताजा उदाहरण अजमेर और अलवर ओर योगी का है ।

*हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर*

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