-अपराधियों में भय, आमजन में विश्वास का ध्येय रखनी वाली पुलिस अपराधियों से डर गई, तो आमजन में क्या खाक विश्वास पैदा करेगी
-अपराधियों व आरोपियों की गोद में बैठने वाली पुलिस ने आमजन की परेशानी की कीमत पर परीक्षा कराकर मूंछ ऊंची की
✍प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉राजस्थान में कांस्टेबल भर्ती के लिए दो दिन 14 व 15 जुलाई को परीक्षा कराकर पुलिस महकमा बेहद खुश है। भले ही उसने परीक्षा करा ली, लेकिन पूरे प्रदेश में उसकी जो पोल खुली है और किरकिरी हुई है, उसकी भरपाई शायद ही मुश्किल है। जब अपराधियों के डर से पुलिस ने ही सारे हथियार डाल दिए और सभी संचार सेवाएं ठप कर आमजन की ही नाक में नकेल डाल दी हो, तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस पर आमजन को कैसे भरोसा होगा, वह कैसे आमजन में विश्वास पैदा करेगी और कैसे राज्य की कानून व्यवस्था को संभालेगी या संभालती होगी। पुलिस ने इस परीक्षा के लिए जो तरीका अपनाया, उससे यह पुख्ता साबित हो गया है कि पुलिस केवल आमजन पर ही डंडा चला सकती है। जिस प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया खुद लाचार हों, वहां कानून व्यवस्था कैसी होगी, आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस ने इस परीक्षा के लिए पूरे प्रदेश में दो दिन इंटरनेट कर्फ्यू लगा कर केवल और केवल डंडे का जोर दिखाया है। पुलिस की कामयाबी तो तब होती, जब आमजन को परेशान किए बिना अपराधियों के हौंसले पस्त करते हुए बगैर किसी व्यवधान के सफलता से परीक्षा कराई जाती।