खुसर-फुसर है कि अजमेर डेयरी के चेयरमैन रामचंद्र चौधरी आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रबल दावेदार होंगे। बताया जाता है कि हाल ही संपन्न विधानसभा चुनाव के दौरान फिर से कांग्रेस में शामिल होने के दौरान ही लगभग यह तय हो गया था कि उनकी दावेदारी को गंभीरता से लिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश कांग्रेस से नाइत्तफाकी के चलते उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि वे भाजपा में तो शामिल नहीं हुए, मगर उन्होंने भाजपा को खुला समर्थन दिया था। इसके एवज में उन्हें भाजपा हाईकमान से कोई लाभ नहीं दिया। विधानसभा चुनाव में जाट वोट बैंक में सेंध मारने के लिए उन्हें कांग्रेस में लिया गया। कहते हैं कि मसूदा में उनकी मेहनत की वजह से ही कांग्रेस के राकेश पारीक विजयी हुए। अब जबकि लोकसभा चुनाव की सरगरमी बढऩे लगी है तो समझा जाता है कि वे टिकट के प्रबल दावेदार होंगे। इस दिशा में उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।
यहां आपको बता दें कि अजमेर लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन ढ़ाई लाख जाट मतदाता हैं। ऐसे में कांग्रेस किसी जाट पर ही दाव खेलने का विचार कर सकती है। यूं जाट दावेदारों में पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी का नाम भी लिया जा रहा है। रहा सवाल पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया का तो वे चूंकि पिछले विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से बागी बन कर खड़े हो गए थे, इस कारण उनकी संभावनाएं पूरी तरह से समाप्त मानी जाती हैं। अलबत्ता जाट वोटों पर पकड़ के लिए उन्हें फिर से कांग्रेस में जरूर शामिल किया जा सकता है।
उधर पूर्व जिला प्रमुख व पूर्व मसूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पतिदेव युवा भाजपा नेता व समाजसेवी भंवर सिंह पलाड़ा आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। श्रीमती पलाड़ा के हाल ही मसूदा से हार जाने के बाद सक्रिय राजनीति में बने रहने की मंशा से उन्होंने पूरे लोकसभा क्षेत्र का बारीकी से अध्ययन शुरू कर दिया है।
असल में डॉ. रघु शर्मा के केकड़ी से चुने जाने के बाद अजमेर लोकसभा क्षेत्र खाली हो गया है। उपचुनाव में हारे रामस्वरूप लांबा नसीराबाद से विधायक चुने जा चुके हैं। चूंकि लोकसभा के आम चुनाव में मात्र पांच माह शेष हैं, इस कारण यहां उपचुनाव नहीं होंगे। आम चुनाव के साथ ही अजमेर में चुनाव होने हैं। फिलवक्त दावेदारी के लिहाज से यह क्षेत्र खाली हो गया है। दोनों दल नए सिरे से विचार कर रहे हैं कि किस पर दाव खेला जाए। हालांकि देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. बी.पी. सारस्वत को पूरी उम्मीद है कि इस बार उन्हें मौका मिल सकता है। देखने वाली बात ये है कि क्या भाजपा भी रघु शर्मा के एक बार यहां से जीतने के बाद ब्राह्मण पर दाव खेलने पर विचार करती है या नहीं। यूं इस क्षेत्र में जाटों के तकरीबन ढ़ाई लाख वोट हैं, इस कारण दावा तो किसी जाट का ही बनता है, मगर भाजपा के कुछ जमा दो प्रबल दावेदार हैं। किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी व पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना। अगर इन पर दाव खेलना भाजपा को रिस्की लगा तो हो सकता है कि नागौर से सी. आर. चौधरी को आयातित किया जा सकता है। उधर वैश्य ये मानते हैं कि इस सीट पर उनका दावा बनता है। इस लिहाज से पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा व पूर्व यूआईटी चेयरमैन धर्मेश जैन दावेदारी करने के मूड में हैं।