दंगल सजने से पहले मालिश कर रहे हैं चुनावी पहलवान

कई नेताओं को है पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष पद की लॉटरी निकलने का इंतजार
पुष्कर। आसन्न नगर निकाय चुनाव में हालांकि पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए लॉटरी नहीं निकली है, अर्थात अभी ये पता नहीं कि अध्यक्ष किस कैटेगिरी का होगा, बावजूद इसके संभावनाओं के इस दंगल में शिरकत करने के लिए तकरीबन सात दावेदारों ने तो खुल्लम खुल्ला दावेदारी जताने का मानस बना रखा है, वहीं तकरीबन नौ ने सपने संजो रखे हैं कि लॉटरी निकलेगी, उसी के अनुरूप निर्णय लेंगे। मुंगेरीलाल के सपनों का राज खुल जाने के बाद दावेदारों का असली खेल शुरू हो जाएगा। कोई सच में दावा करेगा तो कोई किसी को निपटाने की तैयारी करेगा। दिलचस्प बात ये है कि कई नेताओं ने तो गुट बना कर हर विकल्प खुला छोड़ रखा है। जैसे ही लॉटरी खुलेगी, वे अपना पत्ता खोल देंगे। आपको बता दें कि आगामी 3 अक्टूबर को साफ हो जाएगा कि पालिका अध्यक्ष किस कैटेगिरी को होगा, तभी चुनावी आकाश पर छाये बादल छटेंगे।
यदि लॉटरी सामान्य पुरुष के लिए निकलती है तो सबसे पहले व प्रबल दावेदार स्वाभाविक रूप से मौजूदा अध्यक्ष कमल पाठक होंगे, मगर अभी वे अपना मन नहीं बना पाए हैं। उसकी वजह कदाचित ये होगी कि पिछली बार तो पार्टी हाईकमान की सरपरस्ती में पार्षदों के बहुमत के आधार पर अध्यक्ष बन गए, लेकिन सीधे चुनाव में जीत का गणित क्या होगा, उसको ले कर संशय हो सकता है। दावे चाहे जितने कर लें, मगर सिटिंग अध्यक्ष होने के कारण एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर दिक्कत कर सकता है।

तेजवानी गिरधर
दूसरे प्रबल दावेदार हैं अरुण वैष्णव। वे ऊर्जा से लबरेज हैं और टिकट मिलने पर पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने का मन बनाए हुए हैं। उन्हें यकीन है कि पार्टी उनको सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। मौजूदा बोर्ड पर तंज कसते हुए खम ठोक कर कहते हैं कि तीर्थ की मर्यादा को न मानने वाला दावेदारी कर भी कैसे सकता है।
वार्ड नंबर 2 की पार्षद रही मंजू डोलिया यूं तो नवनिर्मित वार्ड 17 या 15 से पार्षद का चुनाव लडऩे का मन बना चुकी है, परंतु यदि सामान्य पुरुष या महिला की लॉटरी निकलती है तो वे अपनी दावेदारी प्रमुखता से करेंगी। उनकी दावेदारी में दम की वजह भी है। 300 वोटों से विजयी होना और दो बार निर्दलीय विजेता बन कर पिछले 20 सालों में उन्होंने खुद को साबित कर दिखाया है।
इसी प्रकार भाइयों की कलह के शिकार बाबूलाल दगदी व जयनारायण दगदी भाजपा व कांग्रेस से दावेदारी जता रहे हैं। उनका कहना है कि अनुभव से ही राजनीति संभव है। पुष्कर में फैले नशा कारोबार पर अंकुश, गंदगी से निजात व होटल व्यवसाय को सुचारू करना उनकी प्राथमिकता में है।
नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके शिवस्वरूप महर्षि ने 5-6 पार्षदों का जाल बिछा कर अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। एक तो राजनीति के अनुभव को भुनाने का वक्त आ गया है और दूसरा पार्टी आलाकमान का भी उन्हें संरक्षण प्राप्त है। उनका कहना है कि काम की प्राथमिकता वक्त के साथ-साथ सुनिश्चित की जाएगी।
पुष्कर नारायण भाटी पुष्कर वासियों के बीच चिर परिचित नाम है। कई पदों पर रहने के बाद अध्यक्ष पद की लाइन में अपने आप को सबसे आगे खड़ा पाते हैं। उनका कहना है कि ओबीसी सीट की लॉटरी निकलते ही निश्चित हो जाएगा कि अध्यक्ष कौन बनेगा। इसी प्रकार वार्ड नंबर 15 के पार्षद कमल रामावत ने भी दावेदारी के लिए पूरी तैयारी कर ली है।
साधन संपन्न रामजतन चौधरी भी अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर चुके हैं, मगर वे बहुत चतुर हैं। या यूं कहिये कि घुन्ने हैं। उनका यह डायलोग देखिए, कितना दिलचस्प है कि वे सक्रिय राजनीति नहीं करते, मगर राजनीति से अछूते भी नहीं हैं। उनका कहना है कि ईमानदार और पुष्करराज से प्रेम करने वाला व्यक्ति ही अध्यक्ष पद का दावेदार होना चाहिए, जिससे कि पुष्कर में पनप रहे भ्रष्ट्राचार को विराम दिया जा सके। कांग्रेस के पुराने चावल जगदीश कुर्डिया ने भी अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर दी है क्योंकि उनकी पत्नी श्रीमती मंजू कुर्डिया अध्यक्ष रह चुकी है। स्वाभाविक रूप से उन्हें पालिका के कामकाज की पूरी जानकारी है और राजनीति का भी लंबा अनुभव है। गोपाल तिलोनिया सीधे तौर पर दावेदारी तो नहीं रख रहे, मगर ये कहते हैं कि अध्यक्ष पद उसी व्यक्ति को दिया जाना चाहिए, जो काम करने का मादा रखता हो। इसी प्रकार अध्यक्ष पद की लॉटरी अगर ओबीसी के लिए खुलती है तो राजेंद्र महावर दावेदारी के लिए पूरी ताकत लगा देंगे।
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष दामोदर शर्मा पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं। टिकट मिलना तो बहुत बाद की बात है, मगर उनको पूरी उम्मीद है कि उनके नाम पर कोई आंच नहीं आएगी। उनके साथ दिक्कत ये है कि वरिष्ठ होने के बावजूद गुटबाजी से विलग नहीं हैं। किसी समय पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ के नजदीकी रहे शर्मा अब पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के करीबी माने जाते हैं, जो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खासमखास हैं।

-तेजवानी गिरधर
अजमेर की मशाल से साभार

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