नसीराबाद के वरिष्ठ व सुपरिचित पत्रकार श्री अतुल सेठी हमारे बीच नहीं रहे। वे बहुत ऊर्जावान व सक्रिय पत्रकार के साथ हंसमुख, यारबाज व जिंदादिल इंसान थे। अजमेर के पत्रकार जगत को उनका अभाव सदैव खलेगा। उन्होंने पत्रकारों के हितों के लिए पत्रकार संगठनों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। मुझे वे बहुत सम्मान व प्यार दिया करते थे। जब भी मिलते यह कह कर चिढ़ाते कि डंडे की सेटिंग कैसी चल रही है? मुझे भी उनका यह जुमला खूब गुदगुदाता था।
असल में दैनिक न्याय में एक व्यंग्य स्तम्भ में मैंने पुलिस मंथली को डंडे की सेटिंग की संज्ञा दी थी। यह उपमा उनको इतनी भायी कि जब भी अजमेर आने पर मिलते, पहला सवाल ये ही करते कि डंडे की सेटिंग कैसी चल रही है? साथ ही ये कहते कि नसीराबाद कब आ रहे हैं? हालांकि उनके बुलावे पर तो कभी वहां नहीं जा पाया, मगर जब भी खबर के सिलसिले में नसीराबाद जाना होता था, तो उनसे जरूर मिला करता था। अब ख्याल आ रहा है कि जब कभी नसीराबाद जाना होगा तो मुझे डंडे की सेटिंग कैसे चल रही है, के जुमले से कौन चिढ़ाएगा?
बताया जा रहा है कि अस्पताल में इलाज के दौरान कोताही की वजह से उनका निधन हुआ। प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
प्रसंगवश बता दूं कि उनसे लगाव की एक वजह ये भी रही कि नसीराबाद से मुझे बहुत प्यार है। वहां मैंने कक्षा सात से नौ तक व्यापारिक स्कूल में अध्ययन किया था। सायरओली बाजार में सुबह-सुबह कोने की दुकान से उठती कचोड़े की सौंधी-सौंधी खुशबू आज तक याद आने पर बरबस नथुनों में महक उठती है। शाम को वहीं कोने पर गैस बत्ती की रोशनी में ठेले पर बिकते चाकलेटी मावे का स्वाद आज भी ताजा है।
खैर, भगवान से प्रार्थना है कि स्वर्गीय सेठी की आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजन को इस आघात को सहन की शक्ति दें।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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