श्री निरंजन आर्य के साथ यादगार संस्मरण

पुष्कर मेले में लोक कलाकारों का स्वर्णिम काल
श्री निरंजन आर्य ने अजमेर में ज़िला कलक्टर रहते हुये विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले में ऐसी छाप छोड़ी कि वर्ष 2002 से लोक कलाकारों का स्वर्णिम युग प्रारंभ हुआ। पूरे विश्व के मीडिया ने इसी साल से मेले को जो पब्लिसिटी दी उसकी पुनरावृत्ति दो- तीन वर्षों बाद से शने: शने: कम होती गई।
कार्तिक पूर्णिमा का दिन पद्म पुराण में सबसे पुण्य दिन माना गया है जिस दिन जगत पिता बृह्माजी ने सृष्टि की रचना पुष्कर में की। इस हेतु कार्तिक एकादशी से प्रारंभ किये गये हवन की पूर्णाहुति भी पूर्णिमा को ही थी। इस दिन सभी तैंतीस कोटि देवी- देवता इस तीर्थ नगरी में मौजूद थे।
श्री निरंजन आर्य ने साल 2002 में कार्तिक पूर्णिमा को लोक कलाकारों का यहाँ महाकुंभ आयोजित करा दिया जो आज भी यादगार शुरुआत के रूप में माना जाता है। कल 30 नवंबर 2020 को कार्तिक पूर्णिमा है परन्तु विश्वव्यापी कोरोना महामारी ने लोक कलाकारों के इस महाकुंभ पर पूरी तरह से पानी फेर दिया, इसके फलस्वरूप राज्य सरकार ने इस बार पुष्कर मेला ही निरस्त कर दिया।
कार्तिक पूर्णिमा को पुष्कर मेले के समापन समारोह का शुभारंभ ही वर्ष 2002 से लोक कलाकारों की शोभा यात्रा से हुआ जिसमें मेले में राजस्थान के कौने-कौने से आये सैंकड़ों कलाकारों ने भाग लिया और विशाल मेला मैदान के चारों ओर घूमकर अपनी कला की ऐसी छाप छोड़ी कि लाखों की तादाद में मौजूद श्रद्धालु, पशुपालक, तीर्थ यात्री और सैंकड़ों की संख्या में शरीक विदेशी सैलानी मंत्रमुग्ध हो गये।
मेरा सौभाग्य था कि जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में,मैं इस समापन समारोह का वर्ष 1991 से हिन्दी, अंग्रेज़ी और मारवाड़ी में एक साथ संचालन कर रहा था और इस शोभायात्रा के आयोजन में उस समय की मेला मजिस्ट्रेट और उपखंड अधिकारी अत्यधिक परिश्रमी मुग्धा सिन्हा के नेतृत्व में काम किया।
इस स्वर्णिम काल में मेले में आये हर कलाकार को मंच मिला। पूर्णिमा की पहली रात्रि को श्री आर्य की पहल पर विराट राजस्थानी कवि सम्मेलन का आयोजन कराया गया जिसने मेला मैदान में मौजूद हज़ारों श्रद्धालुओं व पशुपालकों को रात भर बांधे रखा। इस कवि सम्मेलन का संचालन केकडी निवासी प्रसिद्ध कवि सुरेन्द्र दुबे के नेतृत्व में राजस्थानी हास्य सम्राट कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच ने किया।प्रख्यात कवि दुर्गा दान सिंह जी देवकरण जी सहित अनेक कवियों ने भाग लिया।
कुचामणी ख़्याल के मारवाड़ी लोक कलाकारों का भी श्री निरंजन आर्य ने पूरा ख़याल रखा और पद्मश्री उगमराज खिलाड़ी के नेतृत्व में मशहूर कलाकारों ने उनके लिये बालू मिट्टी के रेतीले टीबे में बनाये गये विशेष मंच पर प्रसिद्ध राजस्थानी ख़्यालों का मंचन किया ।
गोपाष्टमी को झंडारोहण के पश्चात मेला मैदान में प्रसिद्ध नगाड़ा वादक स्वर्गीय रामाकिशन जी के नेतृत्व में नगाड़ा वादन की शुरुआत हुई जो आज भी उनके अनुज विश्व प्रसिद्ध नगाड़ा वादक नाथू जी के कर रहे हैं ।
एक और अनूठी पहल 2002 के पुष्कर मेले से हुई और वह थी मैला मैदान में “ लगान” क्रिकेट मैच का आयोजन।
आज श्री निरंजन आर्य राजस्थान के मुख्य सचिव हैं जो निश्चय ही आने वाले समय में इन लोक कलाकारों को मंच प्रदान करायेंगे।

-प्यारे मोहन त्रिपाठी
संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क (रि)
अजमेर।

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