अजमेर के कांग्रेसी जागेःरेवेन्यू बोर्ड के विखंडन पर उठाई आवाज

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव महेंद्र सिंह रलावता सहित अनेक कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र📮
👉कांग्रेसियों ने कहा, अजमेर के हितों की रक्षा के लिए कभी भी पीछे नहीं रहेंगे💁‍♂️
👉राजस्व मंडल विखंडन के मुद्दे पर विपक्ष में बैठी भाजपा ने अभी तक नहीं उठाई आवाज🤐

प्रेम आनंदकर
यह सुखद स्थिति है कि अजमेर की अस्मिता से जुड़े राजस्थान राजस्व मंडल (रेवेन्यू बोर्ड) के विखंडन के खिलाफ सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के लोग ना केवल जागे हैं, बल्कि मुखर आवाज भी उठाई है। इसके लिए सभी कांग्रेसियों को साधुवाद। मैंने ’’रेवेन्यू बोर्ड का विखंडनःअजमेर की अस्मिता दांव पर’’ शीर्षक से पिछले दिनों ब्लाॅग लिखा था। इस पर ना केवल कांग्रेसियों ने मन की आवाज सुनी, बल्कि ब्लाॅग में लिखे अनेक तथ्यों को शामिल करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखे। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव व अजमेर उत्तर विधानसभा चुनाव-2018 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे महेंद्रसिंह रलावता ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में साफ कहा कि राजस्व मंडल सहित अनेक प्रमुख सरकारी कार्यालयों के मुख्यालय अजमेर को राजधानी की भरपाई में मिले हैं, इसलिए राजस्व मंडल का विखंडन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि राजस्व मंडल का विखंडन किया जाता है, तो यह अजमेर के हितों पर कुठाराघात होगा। उन्होंने कहा कि राजस्व मंडल का विखंडन रोकने सहित अजमेर के हितों की रक्षा के लिए वे कभी भी पीछे नहीं रहेंगे। उन्होंने पानी-बिजली जैसे जनहित के मुद्दों का भी अपने पत्र में जिक्र करते हुए कहा कि अजमेर के लोगों को यह दोनों सुविधाएं निर्बाध रूप से मिलती रहनी चाहिए। इसी प्रकार पूर्व विधायक व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. राजकुमार जयपाल, शहर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष कुलदीप कपूर, पूर्व महासचिव शिवकुमार बंसल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेंद्र गोयल, डाॅ. संजय पुरोहित आदि ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राजस्व मंडल के विखंडन की खिलाफत की है। इन सबके बाजवूद राजस्थान में विपक्ष में बैठी भाजपा के किसी भी नेता ने अभी तक राजस्व मंडल के विखंडन के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है। इधर, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव महेंद्रसिंह रलावता का कहना है कि टाटा पाॅवर को बीस साल के लिए अजमेर शहर की बिजली सप्लाई व्यवस्था भाजपा शासनकाल में दी गई थी। उस वक्त कांग्रेस ने जमकर विरोध किया था, लेकिन सत्ता में मदहोश भाजपा ने एक नहीं सुनी। अब उसी भाजपा के लोग बिजली की आए दिन होने वाली कटौती और ट्रिपिंग को लेकर बेजा चिल्ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा बिजली के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरना कतई उचित नहीं है, क्योंकि इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर भाजपा ही जिम्मेदार है। इसलिए भाजपा नेताओं को पहले अपने राज में किए गए गलत फैसलों पर मंथन कर लेना चाहिए।
मैंने अपने ब्लाॅग में लिखा था कि छोटे-छोटे राज्यों व रियासतों के विलय के समय अजमेर-मेरवाड़ा राज्य का भी राजस्थान में विलय किया गया था। उस समय राजस्थान की राजधानी के लिए अजमेर की प्रबल दावेदारी थी, लेकिन अधिकांश नेता जयपुर को राजधानी बनाना चाहते थे। फिर तय किया गया कि राव कमीशन की रिपोर्ट में जो भी सिफारिश की जाएगी, उसके अनुसार अजमेर को सब दिया जाएगा। राव कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर ही अजमेर को राजस्थान राजस्व मंडल (रेवेन्यू बोर्ड), राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी), आयुर्वेद निदेशालय, राजस्थान कर बोर्ड (टैक्स बोर्ड), राजस्थान बिक्री कर अधिकरण (सेल्स टैक्स ट्रिब्यूनल), पंजीयन व मुद्रांक विभाग (रजिस्ट्री) का महानिरीक्षक (आईजी) जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मुख्यालय दिए गए। यह सभी प्रमुख विभाग अजमेर की अस्मिता से नाता रखते हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे इस अस्मिता पर आंच आने लगी है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का धीरे-धीरे विखंडन करते हुए एक आॅफिस जयपुर से संचालित किया जा रहा है। होम्योपैथी और यूनानी को मिलाकर अलग से निदेशालय बनाकर अजमेर स्थित आयुर्वेद निदेशालय को कमजोर कर दिया गया है। अब राजस्थान राजस्व मंडल का विखंडन करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए जयपुर में राजस्व आयुक्तालय बनाकर राजस्व मंडल की प्रशासनिक शक्तियां छीनी जा सकती हैं। अभी न्यायिक और प्रशासनिक शक्तियां राजस्व मंडल के पास ही हैं। राजस्व आयुक्तालय बनने से सभी प्रशासनिक शक्तियां उसके पास चली जाएंगी। ऐसे में राजस्व मंडल केवल राजस्व संबंधी मामलों की सुनवाई का कोर्ट बनकर रह जाएगा।

✍️ *प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*

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