अजमेर के नवनिर्मित रंगमंच पर दक्षिण भारतीय कला का मुखौटा

क्या राजस्थानी रंगमंच कला का कोई प्रतीक चिन्ह नहीं !!
– मुजफ्फर अली –
अजमेर। एतिहासिक व धार्मिक नगरी अजमेर में नवनिर्मित ओपन रंगमंच के प्रवेश परिसर में दक्षिण भारतीय कला का मुखौटा लगाया है। कारण है कि राजस्थानी रंगमंचिय कला के लिए अब तक कोई सर्वमान्य प्रतीक चिन्ह नहीं है। अजमेर स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत सूचना केन्द्र परिसर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त नवनिर्मित ओपन थियेटर बन रहा है इसका निर्माण अंतिम चरण में है। गौरवशाली इतिहास को समेटे राजस्थान की कला संभवतः जिला प्रशासन अजमेर की नजर में खास महत्व नहीं रखती इसलिए रंगमंच के लिए दक्षिण भारतीय राज्य केरल के कृष्णाट्टम नृत्य में कलाकार द्वारा पहने जाने वाले मुखौटे को प्राथमिकता दी है। जिला प्रशासन का मानना है कि अजमेर में लाखों पर्यटक आते हैं इसलिए रंगमंच के लिए जो प्रतीक चिन्ह लगाया गया है वो रंगमंच का वैश्विक प्रतीक है और इसका चयन सोच समझकर किया गया है। राजस्थानी रंगमंच कला को प्रदर्शित करता प्रतीक क्यूं नहीं लगाया गया इसका प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार कृष्णाट्टम नृत्य के लिए प्रयुक्त मुस्कुराता हुआ मुखौटा
राजस्थान की रंगमंच कला का माखौल उडाता भी प्रतीत हो रहा है। सूचना केन्द्र में आने जाने वाले कला साहित्य से जुडे लोग ओपन रंगमंच की दीवार पर राजस्थानी कला का प्रतीक चिन्ह नहीं पाकर दुखी भी हो रहे हैं। कलाप्रेमियों का कहना है कि देश के हर राज्य की कला संस्कृति अद्भुत है ये हमारी विरासते हैं और पूरे देश को जोडने वाली कला है लेकिन जब अजमेर में ओपन थियेटर का निर्माण हो रहा है तो यहां राजस्थानी कला का प्रतीक चिंन्ह को प्रमुखता देना आवश्यक है। जब ओपन थियेटर में विभिन्न राज्यों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगें तो विभिन्न राज्यों से आने वालों को प्रवेश परिसर में राजस्थानी कला का प्रतीक चिंन्ह स्वागत करता दिखाई देना चाहिए। हालांकि जिला प्रशासन ने स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत सौंदर्यकरण के कार्योे में राजस्थान की कलासंस्कृति को ध्यान में रखा है। शहर की विभिन्न दीवारों, चौराहों, पार्को में राज्य की संस्कृति को दर्शाया है। बावजूद इसके रंगकर्मियों और शहर के नागरिकों को शहर के पहले और आधुनिक सुविधाओं से युक्त ओपन थियेटर की मुख्य दीवार पर राजस्थानी रंगमंच का प्रतीक चिंन्ह नहीं दिखना अखर रहा है।

इनका कहना है –
अजमेर एक अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट प्लेस है, यहां देश विदेश से लाखों टूरिस्ट आते हैं तो यहां के रंगमंच के लिए एक ग्लोबल प्रतीक चिंह का चयन किया गया है, इसे इश्यू नहीं बनाना चाहिए
– डॉ. खुशाल यादव, एडीश्नल इंचार्ज अजमेर स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट ं

अजमेर की सांस्कृतिक पहचान बनना जरुरी है। राजस्थान की रंगमंच कला का कोई प्रतीक चिन्ह है तो वो प्रदर्शित होना चाहिए
– रासबिहारी गौड, प्रसिद्व कवि, साहित्यकार

1 thought on “अजमेर के नवनिर्मित रंगमंच पर दक्षिण भारतीय कला का मुखौटा”

  1. कठपुतली कला राजस्थान की रंग-बिरंगी संस्कृति का अमूल्य हिस्सा है। इसे प्रदर्शित किया जा सकता है।
    शुभकामनाओं सहित,
    केशव राम सिंघल

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