पेयजल समस्या का समाधान न हो पाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण

यह बेहद षर्मनाक व अफसोसनाक है कि अजमेर में पेयजल सप्लाई व्यवस्था में सुधार के लिए पूर्व षिक्षा राज्य मंत्री व अजमेर उत्तर के मौजूदा भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी को आंदोलन की चेतावनी देनी पड गई। वह भी तब जबकि सत्तारूढ कांग्रेस के पूर्व विधायक डा राजकुमार जयपाल के नेतत्व में इसी मसले पर ज्ञापन दिया जा चुका है। विपक्ष की भूमिका तो सहज समझ में आती है लेकिन सत्तारूढ दल को भी अगर नाराजगी जतानी पड रही है तो इससे समस्या की गंभीरता के साथ उसके प्रति प्रषासनिक अकर्मण्यता व लापरवाही जाहिर होती है। जलदाय महकमा अपने कर्तव्य के प्रति कितना बेपरवाह है, यह स्वयं सिद्ध है। जनता काफी दिन से पेयजल समस्या भोग रही है। ऐसा हो नहीं सकता कि महकमे के अधिकारी इससे अनभिज्ञ हों। बावजूद इसके अगर वे समस्या का समाधान नहीं कर रहें हैं या नहीं कर पा रहे हैं तो यह चिंताजनक है। संभव है कि अधिकारियों को पेयजल सप्लाई दुरुस्त रखने में कोई तकनीकी दिक्कत आ रही हो मगर यदि ऐसा है तो उन्हें सार्वजनिक बयान जारी करना चाहिए। और चुप हैं तो इसका मतलब है कि सिस्टम पर उनका कोई नियंत्रण ही नहीं है। उनकी विफलता का ही नतीजा है कि सत्तारूढ दल कांग्रेस तक को आवाज उठानी पड रही है।
स्मार्ट सिटी की दिषा में बढ रहे अजमेर के लिए यह बहुत पीडादायक है कि जनता की मूलभूत समस्या का ही समाधान नहीं हो पा रहा। ऐसे स्मार्ट षहर में रहने से क्या फायदा जिसमें पानी सप्लाई का ना तो कोई दिन निश्चित है और ना ही समय। अनेक क्षेत्रों में तो 72 से 96 घंटे के अंतराल से पानी की सप्लाई की जा रही है। कई क्षेत्रों में जब पानी सप्लाई होता है, तो पहले दस-पन्द्रह मिनट तक तो गंदा पानी आता है। इसके बाद साफ पानी भी कम प्रेशर से बहुत कम समय के लिए सप्लाई किया जाता है, जिससे दैनिक जरूरत की पूर्ति भी नहीं हो पाती है।
आजादी के बाद आठवें दषक में भी ऐतिहासिक षहर अजमेर पानी के लिए तरस रहा है तो इसका मतलब ये है कि यहां का कोई धणी धोरी नहीं है। ऐसी व्यवस्था के लिए ही तो पोपा बाई का राज जुमले का इजाद हुआ था।

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