न चाहते हुए भी देवनानी ने रलावता को दी भरपूर तवज्जो

कांग्रेस के वरिश्ठ नेता महेन्द्र सिंह रलावता व अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी के बीच जुबानी जंग जारी है। आए दिन एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करते रहते हैं। गुरुवार को भी देवनानी ने पलटवार करते हुए बयान जारी किया है। हालांकि देवनानी का कहना है कि जब रलावता को कांग्रेस व जनता ही गंभीरता से नहीं लेती, तो मैं भी नहीं लेता, लेकिन बयान जितना लंबा और प्रहारक है, वह साबित करता है कि देवनानी ने रलावता को काफी गंभीरता से लिया है और उन्हें भरपूर तवज्जो दे रहे हैं।
बयान हालांकि उनके कार्यालय प्रभारी ने जारी किया है लेकिन चूंकि वह देवनानी की अधिकत ईमेल आईडी के जरिए आया है, इसलिए यही माना जाएगा कि कार्यालय प्रभारी ने देवनानी को बयान का मजमून दिखा कर ही मेल किया होगा। ऐसा भी संभव है कि देवनानी ने कार्यालय प्रभारी को प्रतिक्रिया देने को कहा हो और उन जनाब ने अति उत्साह में लंबा चौडा बयान टाइप कर दिया हो।
बयान में रलावता को हवाई बातें करने वाले व बडबोले नेता की संज्ञा दी गई है। उन्होंने रलावता के बयान के प्रत्युत्तर में कहा है कि जहां तक मेरी याददाश्त कमजोर होने और च्यवनप्राश खाने की बात है, वह तो पिछले चार चुनाव में जनता देख चुकी है और अब भी देख रही है। दरअसल, याददाश्त रलावता की कमजोर है और उन्हें च्यवनप्राश खाना चाहिए। जनता उन्हें विधानसभा चुनाव में नकार चुकी है। देवनानी ने कहा कि रलावता द्वारा उनके लिए च्यवनप्राश भेजने संबंधी दिया गया बयान रलावता की घटिया सोच और ओछी मानसिकता का द्योतक है। चलो इस आरोप प्रत्यारोप से यह तो पता लगा कि याददाष्त बढाने के लिए च्यवनप्राथ खाना चाहिए। वैसे एक बात है, देवनानी अमूमन निम्न स्तरीय बयान देने के आदी नहीं हैं, लेकिन ऐसा प्रतीता होता है कि उन्होंने रलावता के बयान को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया है।
देवनानी ने एक बात तो पते की की है। वो यह कि सारे विधायक सरकार की ओर से दिए जाने वाले धन से ही विकास कार्य करवाते हैं न कि अपनी जेब से। कांग्रेसी विधायक भी। उनकी बात में दम है, मगर जब कुछ विधायक विकास कार्यों का षुभारंभ इस तरह से करते और उसका प्रचार करते हैं मानो अपनी जेब से करवा रहे हों तो जनता में यह जुमला सुना जा सकता है कि कौन सा अपनी जेब से करवा रहे हैं। सिक्के का दूसरा पहलु ये है कि यदि षुभारंभ की खबरें जारी नहीं करेंगे तो जनता को पता कैसे लगेगा कि उनके विधायक ने कितने काम करवाए हैं, भले ही वे विधायक फंड से अर्थात सरकारी खजाने से हो रहे हैं।
बात ही बात में देवनानी केन्द्र सरकार के योगदान को बयां करने से नहीं चूके कि जल वितरण व्यवस्था सुधारने और मेडिकल कॉलेज सहित शहरभर में सैकड़ों विकास कार्य स्मार्टसिटी योजना के तहत कराए जा रहे हैं, जिसके लिए अरबों रूपए केंद्र सरकार दे रही है।
उन्होंने कहा कि दरअसल रलावता आए दिन इस तरह के बयान चर्चाओं में बने रहने के लिए देते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि नेता लोग चर्चा में रहने के लिए ही बयान दिया करते हैं। मगर इस सच से भी इंकार नहीं किया जाना चाहिए कि बयान पर पलट बयान से रलावता और ज्यादा चर्चा में आ जाएंगे।
अपन इस बयानी कुष्ती को इस रूप में लेते हैं। देवनानी का बयान जारी करना इसलिए जायज बनता है कि वे अगले चुनाव में भी मैदान में उतरेंगे, क्योंकि लगातार चार बार जीतने के बाद पांचवीं बार उनका टिकट कटने का कोई कारण नजर नहीं आता। रहा सवाल रलावता का तो उनकी गतिविधियों से यह साफ झलकता है कि वे दुबारा चुनाव लडने की तैयारी कर रहे हैं।
दोनों महानुभावों के बीच में अपना टांग फंसाना इसलिए गैर वाजिब नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि ये तो अपनी ड्यूटी है कि जनता को बयान वार की निश्पत्ति से तो वाकिफ करवाया जाए। वैसे यह अच्छी बात है, वही लोकतंत्र खूब फलता फूलता है, जिसमें चैक एंड बैलेंस होता हो। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसी खींचतान से ही तो विकास का मार्ग प्रषस्त होता है।

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