भूतपूर्व काबिना मत्री स्वर्गीय श्री किषन मोटवानी की मूर्ति स्थापित करने और उनके नाम पर मार्ग व चौराहे का नामकरण करने की मांग एक बार फिर उठी है। पूर्व में भी कई बार अनौपचारिक रूप से यह मांग उठती तो रही है, मगर सिरे पर कभी नहीं चढ पाई। जब नरेन षहाणी भगत यूआईटी के अध्यक्ष थे, तब तो स्वयं उनकी भी इच्छा थी, मगर जब तक उस पर कुछ कार्यवाही करते, उससे पहले ही उनका कार्यकाल भंग हो गया। अब एक बार फिर द स्मार्ट अजमेरियन संस्था ने यह मांग उठाई है और बाकायदा राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को ज्ञापन भी दिया।
संस्था के अध्यक्ष सोना धनवानी ने बताया कि संस्था वर्ष 2018 से स्व. श्री किशन मोटवानी की जयंती व पुण्यतिथि हर वर्ष मनाती आ रही है। धनवानी ने बताया कि अजमेर जिले को जीवन दायिनी बीसलपुर पेयजल योजना प्रदान करवाने वाले स्व. श्री मोटवानी एक प्रखर राजनीतिज्ञ थे। एक बार विधानसभा उपाध्यक्ष व एक बार राजस्व मंत्री रहे। जे. एल. एन. अस्पताल में हृदय रोग संस्थान, कैंसर निदान केंद्र, यूरोलॉजी विभाग की स्थापना करवाई। उनकी प्रेरणा से अमेरिका के प्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट डॉ. बदलानी ने करोड़ रु. के आधुनिक उपकरण दान किए। राजकीय महिला महाविद्यालय, महिला पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज खुलवाने के साथ-साथ राजस्व मण्डल का विघटन रेलवे कारखानों और सिन्धी स्कूलों का विघटन भी रुकवाया।
इस अवसर पर महेन्द्र कटारिया, राजकुुमार लुधानी, गिरिश आसनानी, कमल कृपलानी, मनीष सेन, कमल कृष्णा, कृष्णा, पंकज छोटवानी, दीपा पारवानी, अशोक पंडित, शिवकुमार भागवानी, दिनेश के शर्मा मौजूद थे। यहां उल्लेखनीय है कि मोटवानी के जीते जी उनसे उपकृत हुए अनेक सिंधी नेताओं ने गंभीर प्रयास नहीं किए। अकेले धनवानी मोटवानी का झंडा लिए घूम रहे हैं। चूंकि राठौड आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट के प्रबल दावेदारी करते दिखाई दे रहे हैं, उसके मद्देनजर अब देखने वाली बात यह है कि चुनावी मौसम में मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के करीबी राठौड इस मांग को कितनी गंभीरता से लेते हैं। ज्ञातव्य है कि मोटवानी के अस्वस्थ हो जाने पर भी गहलोत ने उन्हें मंत्री बनाए रखा था। वे चाहें तो स्थान व मूर्ति की व्यवस्था सरकार के स्तर पर हो सकती है। कदाचित यह सोच कर कि लगातार तीन बार किसी सिंधी को प्रत्याषी नहीं बनाए जाने से नाराज सिंधियों को खुष करने के लिए राठौड गंभीर प्रयास करें।