राजनीतिक दलों ने रेगर समाज की उपेक्षा की

रेगर समाज के सभी पंच, पटेल, चौकड़ात, विद्वान जन, चिंतक, सबको मेरा हाथ जोड़कर राम-राम सा। हमारा देश आजाद हुआ जब से अजमेर शहर में एक विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहती आई हैं, लेकिन रेगर समाज को कभी भी अजमेर में विधायक का उम्मीदवार, किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं बनाया है, केवल मात्र सभी राजनीतिक दल कोली समाज को ही उम्मीदवार बनाता आया है और ऐसा महसूस होता है की अनुसूचित जाति में केवल कोली समाज ही है। सही मायने में हमारे समाज की सदैव राजनीतिक दलों ने उपेक्षा करी है, रेगर समाज अनुसूचित जाति का सबसे बड़ा समाज है, अजमेर जिले की सभी आठों विधानसभा में भारी मात्रा में निवास करता है तथा राजस्थान में भी सभी विधानसभाओं में रेगर समाज का बाहुल्य है। रेगर समाज ने 1984 में इंदिरा गांधी जी को अपनी ताकत दिखाई थी परंतु इंदिरा जी की हत्या होने के कारण रेगर समाज उपेक्षित ही रहा, अभी जयपुर में भी रेगर समाज ने अपनी ताकत दिखाई परंतु राजनीतिक दलों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है क्योंकि रैगर समाज एक सीधा-साधा मजदूर वर्ग का एवं वफादार लोगों का स्वाभिमानी समाज होने के कारण उपेक्षित होता रहा है। मेरा आपसे निवेदन है कि आप समाज के सभी पदाधिकारी मिलकर समाज की आवाज को उठाएं ताकि समाज का राजनीतिक वजूद पैदा हो सके क्योंकि जिस समाज का राजनीतिक वजूद नहीं होता है वह समाज सदैव पिछड़ा हुआ रहता है। केवल मात्र कोली समाज ही अनुसूचित जाति का लाभ प्राप्त करता रहा है, सत्ता में तथा संगठनों में अपना वजूद बनाए रखता है, रेगर समाज को हमेशा दबाने की कोशिश करता है। रेगर समाज के लोगों को आगे नहीं बढ़ने देता क्योंकि रेगर समाज अगर आगे बढ़ गया तो कोली समाज के लिए प्रतिद्वंदी हो जाएगा और कोली समाज जो कि एक छोटे से क्षेत्र अजमेर दक्षिण में निवास कर रहा है बाकी कहीं भी उसका वजूद नहीं है, अजमेर जिले की आठों विधानसभा में भी उसका कोई वजूद नहीं है, नाही राजस्थान की विधानसभा में उसका कोई वजूद है। इसलिए वह डरता है और रेगर समाज को अपना प्रतिद्वंदी मानते हुए आगे नहीं बढ़ने देना चाहता है। रेगर समाज हमेशा से कोली समाज को वोट देता आया है, परंतु कोली समाज रेगर समाज को हमेशा पीछे धकेल से आया है। मेरा आपसे निवेदन है कि समाज को जागृत करने के लिए एक बार अपना राजनीतिक वजूद पैदा करें और सभी राजनीतिक दलों से रेगर समाज के लिए उम्मीदवारी मांगे, ताकि रेगर समाज का राजनीतिक वजूद हो सके। *किस राजनीतिक दल से कौन व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाना है, यह राजनीतिक लोगों को सोचने दे।* समाज का काम समाज के लोगों को संबल देना है, ताकत देनी है। *मेरा तो केवल यहीं सुझाव हैं कि उम्मीदवार जो भी हो उसका जाति प्रमाण पत्र रेगर समाज का होना चाहिए।* साथ ही में समाज से निवेदन करता हूं की यदि इस बार राजनीतिक दल रेगर समाज की उपेक्षा करता है तो रेगर समाज को चाहिए कि वह सभी जगह विधानसभा में अपना वजूद दिखाते हुए रेगर महासभा के बैनर तले अपने उम्मीदवार खड़े कर चुनाव लड़वाया जाय। जय जात गंगा की, जय रेगर समाज की।

*आपका अपना समाज का राजनीतिक चिंतक व सामाजिक चिंतक, अशोक सुकरिया अजमेर।*

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