खुदा से कोई शिकायत न करें

tejwani girdhar
विद्वान कहते हैं कि खुदा व प्रकति से अपने भाग्य को लेकर कभी षिकायत नहीं की जानी चाहिए। उसे दोश नहीं देना चाहिए। जो कुछ मिला है, उसके लिए षुक्रिया अदा करना चाहिए। माना यही जाना चाहिए कि उसने जो कुछ किया है, वह उचित ही होगा, वह सदैव न्यायोचित ही करता है। उस पर गिला षिकवा करने के मायने ये हैं कि हम उसके निजाम की अवमानना कर रहे हैं। गुस्ताखी कर रहे हैं। उसकी व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। उस पर अविष्वास जाहिर कर रहे हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रति आस्था रखनी ही होती है। उसे मानना ही होता है, चाहे हम उससे सहमत हों या नहीं। नहीं मानने पर भी निर्णय का परिणाम भोगना होता है। अतः बेहतर यह है कि उसे अपनी नियति मान कर संतुश्ट हो जाएं। सब्र कर लें। षायद इसी भाव का परिलक्षित करती है यह उक्ति – जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।

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