तेलंगाना हाउस एवं अल्पसंख्यक छात्रावास संघर्श समिति के अग्रणी कार्यकर्ता पुश्पेन्द्र सिंह चौहान जब विधानसभा चुनाव में मतदान से कुछ दिन पहले भाजपा प्रत्याषी वासुदेव देवनानी के साथ आ गए थे, तब कुछ लोगों को उनका पलटी मारना अटपटा लगा था। टीका टिप्पणियां भी हुईं, मगर अब जब कि तेलंगाना हाउस का भूमि आवंटन निरस्त हो गया है तो यह साबित हो गया है कि उन्होंने तब ही देवनानी का अष्वासन हासिल कर लिया था। देवनानी ने विधानसभा अध्यक्ष बनने के चंद दिन बाद ही उस वचन को निभाते हुए भूमि का आवंटन निरस्त करवा दिया है। यानि चौहान का देवनानी का साथ देना सार्थक हो गया है। ज्ञातव्य है कि जब संघर्श समिति आंदोलन कर रही थी तब देवनानी विपक्ष के विधायक थे और उनके हाथ में कुछ नहीं था। आष्वासन तत्कालीन मुख्यमंत्री अषोक गहलोत ने भी दिया, मगर अमल नहीं हो पाया। देवनानी जानते हैं कि इस आंदोलन से तकरीबन पांच हजार मतदाता प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुए थे। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मांग की पूर्ति कर दी है, कोटडा इलाके में उन्होंने अपना जनाधार बढा लिया है। ज्ञातव्य है कि संघर्श समिति जब हर षनिवार की षाम चौराहे पर हनुमान चालिसा का सामूहिक पाठ कर रही थी, तब कुछ लोगों का यह मानना था कि एक बार आवंटन होने के बाद निरस्त होना बहुत कठिन है। मगर सरकार के ताजा निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि जनआंदोलन देर सवेर फलीभूत तो होते हैं। आंदोलन में प्रभात चौरसिया, अनिल जोषी, जितेन्द्र सिंह षेखावत, चांदकरण अग्रवाल, महेष सांखला, मनीष चोरसिया, हरेन्द्र षर्मा, मनीष षर्मा, राजीव गुप्ता, पवित्रा षर्मा, दीप्ती षर्मा आदि की अहम भूमिका थी। कोटडा वासियों में आंदोलनकारियों व सहयोग करने वालों का आभार च्यक्त किया है।