रोजनामचा

राठौड ने फिर चौंकाया
आयकर विभाग की ओर से कांग्रेस के बैंक खाते सीज करने के विरोध में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्षन किया। निवर्तमान षहर अध्यक्ष विजय जैन के आव्हान पर आयोजित इस आयोजन में आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राठौड मौजूदगी ने एक बार फिर कार्यकर्ताओं को चौंकाया। अब यह साफ हो गया है कि राठौड अजमेर को अपनी कर्मस्थली बनाए रखना चाहते हैं। इस मौके पर पूर्व षहर कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट जसराज जयपाल, पूर्व विधायक डा राजकुमार जयपाल व डेयरी सदर रामचंद्र चौधरी मौजूद रहे। दूसरी ओर अजमेर उत्तर व अजमेर दक्षिण से हारे महेन्द्र सिंह रलावता व हेमंत भाटी की गैर मौजूदगी को नोटिस में लिया गया।
प्रदर्षन के दौरान कुछ कार्यकर्ता उत्तेजित हो गए। लाठीचार्ज की नौबत आ गई। समझदार कार्यकर्ताओं को पीछे हटना उचित लगा।

देवनानी को टोकना महंगा पडा?
अजमेर के एसपी चूनाराम की तबादला पाली के एसपी पद पर हो गया तो उसे यही माना जा रहा है कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की नाराजगी का परिणाम भुगतना पडा है। सच्चाई क्या हैे, पता नहीं, यह मीडिया का परसेप्षन है। आपको ख्याल होगा कि कांग्रेस कार्यकाल में झरनेष्वर महादेव सेवा समिति ने उज्जैन की तर्ज पर झरनेष्वर महादेव के नगर भ्रमण की इजाजत मांगी थी। इस सिलसिले में तत्कालीन भाजपा विधायक देवनानी एसपी से मिल थे। एसपी ने इजाजत देने से इंकार किया तो दोनों के बीच हॉट टाक हो गई। देवनानी गुस्से में थे। इस पर चूनाराम ने उनको उंची आवाज में बात न करने की नसीहत दी थी। मीडिया की नजर में उस समय तो देवनानी खून का घूंट पी कर रह गए, मगर जैसे ही पावर में आए उन्होंने चूनाराम को अजमेर से कमतर जिले पाली के एसपी पद पर रवन्ना करवा दिया। बेषक, वे अब भी एसपी ही हैं, मगर इसे प्रतिश्ठा के लिहाज से अवनति माना जाता है।

केवल तबादला करने से क्या होगा?
हाल ही सत्ता पर काबिज भाजपा के मंत्री प्रषासन को दुरूस्त करने पर बहुत जोर दे रहे हैं। बहुत अच्छी बात है। उसी क्रम में बेईमान व निठल्ले अधिकारियों को नहीं सुधरने पर इधर से उधर करने की चेतावनी दे रहे हैं। हाल ही पुश्कर के मेला मैदान में आयोजित प्रधानमंत्री लाभार्थी संवाद कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री सुरेष रावत ने उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों का जन समस्याओं के ईमानदारी व त्वरित गति से समाधान करने का आव्हान किया और चेतावनी दी कि अगर किसी अधिकारी में ईमानदारी से काम करने की सामर्थ्य नहीं है तो यहां से दूसरी जगह चले जाएं, वरना हम दूसरे तरीके से भेज देंगे, जो ठीक नहीं होगा। प्रषासनिक तंत्र में अधिकारियों को फौरी तौर पर सजा देने का यही तरीका चलन में है। मगर सवाल ये है कि जो अधिकारी यहां बेईमानी कर रहा है, वह दूसरी जगह भी बेईमानी ही तो करेगा। बेईमानी मूलतः फितरत है। एक जगह नहीं तो दूसरी जगह गंदगी करेगा। उससे हासिल क्या होगा? जब तक उसे उचित दंड देने की व्यवस्था नहीं होगी, सुधार करने की उम्मीद बेमानी है। हालांकि तबादले से कर्मचारी की फेमिली डिस्टर्ब होती है, इस कारण तबादला एक तरह की सजा मानी जाती है, मगर कई कर्मचारी इतने नेटोरियस होते हैं, उन्हें तबादले का कोई फर्क नहीं पडता। हां, मलाईदार पोस्ट की जगह कम मलाई वाली पोस्ट पर जाने से कर्मचारी बचना चाहता है।

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