सिंगारिया बरी, अब आगे क्या?

केकडी के पूर्व कांग्रेस विधायक बाबूलाल सिंगारियां को बडी राहत मिली है। उन पर एसपी आलोक त्रिपाठी को भरी सरकारी मीटिंग में थप्पड मारने का आरोप था। पूरे तेईस साल मुकदमा चला और अंततः वे बरी हो गए। अकेले इसी मुकदमे के चलते उनकी राजनीतिक यात्रा में बाधाएं खडी हो गई थीं। वरना वे दमदार और जनाधार वाले नेता थे। बताया जाता है कि विवाद की जड में एसपी द्वारा उनकी अवहेलना करने से उपजा गुस्सा था। कहते हैं न कि गुस्सा नुकसान ही करता है। मामले में कांग्रेस से अपेक्षित सहयोग न मिलने पर उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली। लेकिन भाजपा ने भी उनको पूरी तवज्जो नहीं दी। नतीजतन एक उर्जावान नेता की अधिकतर जवानी जाया हो गई। जब भी वे सक्रिय होते, समुदाय विषेश उनके खिलाफ मोर्चा खोल देता था। 1998 में वे केकडी से पहली बार विधायक बने, उसके बाद 2003 के चुनाव में हार गए। परिसीमन के कारण 2008 में केकडी सीट सामान्य हो गई, मगर वे मैदान में निर्दलीय रूप में डटे रहे और तकरीबन 22 हजार वोट हासिल किए। इसके बाद 2013 में एनसीपी के टिकट पर लडे और 17 हजार वोट हासिल किए। किसी निर्दलीय या गैर कांग्रेस गैर भाजपा उम्मीदवार का इतने वोट हासिल करना बहुत बडी बात मानी जाती है। कम लोगों को ही इसकी जानकारी होगी कि अजमेर के स्टेषन रोड पर जो इंदिरा गांधी भित्ति चित्र है, वह उनकी ही देन है। बहरहाल, अब देखने वाली बात ये है कि बरी होने के बाद वे सक्रिय राजनीतिक फिर कैसे आरंभ करते हैं। अगले विधानसभा चुनाव में उनकी अजमेर दक्षिण से दावेदारी मजबूत हो सकती है।

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