*विभागीय कामकाज भी आचार संहिता के दायरे में?*

-राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ भामसं ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दिया ज्ञापन
-माध्यमिक शिक्षा निदेशक से भी पदोन्नति चयन सूचियां जारी करने की मांग, अन्य विभागों का दिया हवाला

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉लोकसभा चुनावों को देखते हुए अभी आचार संहिता लगी हुई है। यदि आचार संहिता की बात करें, तो 4 जून तक ना तो नया कोई कार्यादेश जारी किया जा सकता है और ना ही कोई नया कार्य शुरू किया जा सकता है। किंतु जिन कार्यों के लिए पहले ही कार्यादेश जारी हो चुके हैं या जो कार्य आचार संहिता लगने से पहले शुरू किए जा चुके हैं, उन कार्यों में कराने में कोई रोक नहीं है। अब बात करते हैं। सरकारी विभागों में कामकाज की। सरकारी विभागों में जो रूटीन के कार्य होने चाहिए, उन्हें भी आचार संहिता की आड़ में रोक दिया गया है। जनता की समस्याओं का समाधान भी आचार संहिता की दुहाई देकर नहीं किए जा रहे हैं। यह पीड़ा राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ भामसं के प्रदेश महामंत्री राकेश शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल द्वारा माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी और राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दिए गए ज्ञापन में जताई गई है। शिक्षा निदेशक को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि सत्र 2023-24 की कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक की पदोन्नति चयन सूची अभी तक जारी नहीं की गई है।

प्रेम आनंदकर
शर्मा ने निदेशक को बताया कि गृह विभाग द्वारा राजस्थान पुलिस सेवा के 51 अधिकारियों की सूची 30 मार्च को जारी की गई है। पशुपालन विभाग की कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक की पदोन्नति चयन 4 अप्रैल को जारी की गई है। राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष वंश प्रदीप सिंह के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष राकेश शर्मा की अगुवाई में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि आचार संहिता के जारी दिशा-निर्देशों में नियमित कार्यों पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। इसके बावजूद सरकारी विभागों में सभी नियमित कार्यों पर रोक लगा दी गई है। पदोन्नति की चयन सूचियां जारी करने, स्टेशनरी खरीदने, इलैक्ट्रॉनिक उपकरण व कम्प्यूटर आदि खरीदने या इन्हें ठीक कराने, वाहन किराए पर लेने, साफ-सफाई आदि सहित अनेक विभागीय कार्य निर्वाचन विभाग की अनुमति के बिना जारी नहीं किए जा रहे हैं, जबकि यह नियमित प्रकृति के कार्य हैं और यह कार्य मतदाता पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं डालते हैं। स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में सरकारी कार्यालयों के नियमित कार्य प्रभावित हो रहे हैं। यही नहीं, एक तरफ अधिकारी आचार संहिता की दुहाई देते हैं, तो दूसरी ओर नियम विरूद्ध तरीके से उपापन कार्यवाहियों को अंजाम दे रहे हैं। विभिन्न विभागों में पदोन्नति सूचियां जारी नहीं किए जाने से कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।

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