केन्द्र सरकार में एक राज्य मंत्री, राज्य सरकार में विधानसभा अध्यक्ष व एक काबिना मंत्री और राज्य मंत्री के समकक्ष दो नेताओं का अजमेर से होने से जाहिर तौर पर अजमेर की उम्मीदें बहुत जाग गई हैं। इसके अतिरिक्त निगम महापौर व जिला प्रमुख भी भाजपा से हैं। अब लग रहा है कि यहां की समस्याओं का पूर्ण समाधान हो जाएगा। उम्मीदें जायज हैं, मगर जानकार लोगों का मानना है कि जब तक समग्र प्रयास नहीं होंगे और लक्ष्य हासिल करने तक लगातार फॉलोअप नहीं होगा, समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी।
दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक व सिटीजंस कोंसिल के महासचिव श्री दीनबंधु चौधरी ने एक बार एक मुलाकात में बताया था कि कोई भी काम हाथ में लेने पर जब तक उसको मुहिम की षक्ल न दी जाए, बात आगे बढती ही नहीं है। सिटीजंस कौंसिल के जरिए अनेक कार्य करवाने वाले श्री चौधरी ने बताया कि हमारे देष की प्रषासनिक कार्यप्रणाली बहुत जटिल है। एक तो उसकी बारीकी को समझना होता है। कोई भी फाइल कई जगह पर अटकती है। हर जगह उसका पीछा करना होता है और उसमें राजनीतिक ताकत झोंकनी पडती है। केन्द्र व राज्य में भले ही आपके मंत्री बैठे हों, मगर वे कितनी प्रभावी भूमिका निभाते हैं, इस पर निर्भर होता है कि सरकारें मांगों पर कितना गौर करती हैं। यानि कार्य पूर्ण होने तक अथक मेहतन करनी पडती है, वरना सफलता हासिल नहीं होती। अजमेर की अधिसंख्य समस्याएं इसी कारण जस की तस बनी हुई हैं कि उनके समाधान के लिए समग्र प्रयास हुए ही नहीं।
ज्ञातव्य है कि जब सचिन पायलट केन्द्र में राज्य मंत्री थे, तब कुछ प्रमुख कार्य करवाने में इसी कारण सफल हुए क्योंकि वे कांग्रेस हाईकमान पर अच्छी पकड रखते थे। इसके विपरीत स्वर्गीय श्री सांवर लाल जाट अपेक्षाकृत कम प्रभावषाली होने व अस्वस्थता के कारण वह सब कुछ अजमेर को नहीं दे पाए, जो देना चाहते थे। आपको ख्याल में होगा कि पांच बार सांसद रहे स्वर्गीय श्री रासासिंह रावत बहुत सक्रिय थे, जमीन पर और संसद में भी, मगर एक बार भी मंत्री नहीं बन पाने के कारण उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। मौजूदा राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी अनुभवी व जमीन से जुडे नेता हैं। अच्छे खासे वोटों से जीते हैं। जातीय समीकरण के तहत मजबूत स्थिति में हैं। वे अगर अजमेर को कुछ देना चाहते हैं तो उन्हें षिद्दत की हद तक जाना होगा। इसी प्रकार राज्य में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी प्रभावषाली पद पर हैं। सुखद है कि वे कुछ करने को आतुर हैं और निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे हैं, मगर सरकार से बडे प्रोजेक्ट्स के लिए बजट आवंटित करवा पाने पर ही सफल हो पाएंगे। काबीना मंत्र सुरेष सिंह रावत भी दमदार नेता हैं। दोनों नेता संयुक्त प्रयास करें तो कम से कम पानी की सबसे बडी समस्या से निजात दिलवा सकते हैं। मगर बात यही कि उन्हें भी षिद्दत की हद तक ही जाना होगा। होना यह चाहिए कि भाजपा के मंच पर सभी प्रभावषाली जनप्रतिनिधियों की बैठक हो और अजमेर के विकास पर एक राय हो कर केन्द्र व राज्य सरकार से अपेक्षित बजट आबंटित कराया जाए। ऐसा करने पर जनता के बीच भी संदेष जाएगा कि अजमेर में टिपल इंजन की सरकार का वाकई लाभ होगा।