*सालों से बह रही है मार्टिण्डल ब्रिज के नीचे*
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*■ ओम माथुर ■*
*ये है अजमेर की सीन नदी। इसकी लम्बाई आधा-पौन किलोमीटर है। ये बरसाती नदी है,जो चाहे मामूली बारिश हो या तेज,बहने लग ही जाती है। लोग इसे गंदे पानी का नाला भी कहते है,क्योंकि इसकी उत्पत्ति में बाजेवाली गली,केसरगंज के नाले का अहम योगदान है। हमेशा कचरे से भरे रहने वाले इस नाले में पानी नहीं बहता है,इसलिए ये सड़क पर बहता हुआ नदी का रूप ले लेता है। इसमें दरगाह के आसपास, डिग्गी बाजार,केसरगंज आदि से बहकर आने वाला पानी भी मिल जाता है। इसका फैलाव कभी बाटा तिराहा रहे स्थान से सेंटफ्रांसिस हास्पिटल होते हुए जीसीए के आसपास तक है। हास्पिटल के सामने से इसका बहाव रेल पटरियों के पार बने नाले की तरफ है। लेकिन वहां लगी लोहे की जाली में कचरा फंस जाने के कारण इस नदी का मार्ग अवरुद्ध है जाता है। जब तक नदी में पानी रहता है,ये पेरिस की सीन नदी के गंदे स्वरूप की याद दिलाती है,जिसके मोड पर पेरिस बसा है। केसरगंज और आसपास के इलाकों के लोगों को भी बरसात में यही अहसास होता है कि वो नदी के किनारे बसे हैं।*
*ऐसे में बारिश में जब भी यह नदी बहने लगती है,तो घंटों यातायात जाम हो जाता है। यह स्थिति सालों से है। लेकिन फिर भी जन प्रतिनिधि इसका समाधान निकालने में नाकाम रहे हैं। सरकार
चाहे डबल इंजन की रही हो,या अलग-अलग इंजन की। मंत्री-विधायक कांग्रेस कर रहे है या भाजपा के। नदी को सड़क पर आने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर सके। तो करीब 35 साल से स्थानीय निकाय पर कायम नाकारा भाजपा बोर्ड से क्या उम्मीद करें। इस साल बजट में अजमेर को 1500 करोड रुपए मिलने का खूब ढिंढोरा पीटा जा रहा है। देखना है कि क्या साइंस सिटी, आईटी पार्क, आयुर्वेद विश्वविद्यालय जैसी बड़ी बड़ी योजनाओं को जमीन पर लाने के साथ ही इस नदी को खत्म करने पर भी कोई काम होगा या नहीं। वैसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखना ही अजमेर के नसीब में है।*
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