क्या कुछ दिन ठहर नहीं सकती थीं जिला कलेक्टर डॉ भारती दीक्षित?

इधर अजमेर जिला कलेक्टर डॉ भारती दीक्षित बारिश के जलजले से जूझ रही थीं, लगातार मॉनिटरिंग कर रही थीं। उधर उनके तबादले के आदेश आ गए। वे चंद घंटे में ही रिलीव हो गईं। पता नहीं खुद की मर्जी से, या उच्चाधिकारियों के दबाव में। जो कुछ भी हो, ऐन संकट के वक्त इस प्रकार रिलीव होना अनुचित व कष्टप्रद है। बेशक नए कलेक्टर लोकबंधु ने ज्वाइनिंग के साथ मौकों का निरीक्षण किया, अधिकारियों की बैठक ली, मगर समझा जा सकता है कि उन्हें हालात को ठीक से समझने व उनसे निपटने में वक्त लगेगा। जब हमारे पास अनुभवी और रोज मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी थे, तो क्यों कर उन्हें इतनी जल्दबाजी में रिलीव कर दिया गया? कैसी विडंबना है? अगर वे हालात सामान्य होने तक कुछ दिन यहीं रह जातीं तो क्या पहाड टूटने वाला था? मगर किसी भी स्तर पर इसका ख्याल नहीं रखा गया। अफसोसनाक।

प्रिंट व सोशल मीडिया साधुवाद का पात्र
भारी बरसात के बाद फायसागर के छलकने पर जब अजमेर में जलजला आ गया तो जान की परवाह किए बिना प्रिंट व सोशल मीडिया कर्मी चहुंओर पसर गए। चप्पे चप्पे के हालात का लाइव कवरेज लोगों को दिखाया। पूरा शहर पल पल अपडेट हो रहा था। प्रशासन के पास खुद का ऐसा कोई नेटवर्क नहीं था कि गली-गली मोहल्ले-माहल्ले की स्थिति का आकलन किया जा सके, मगर सोशल मीडिया ने ग्राउंड रिपोर्ट कर हालात से साक्षात्कार कराया। प्रशासन के लिए राहत कार्य करना आसान हो गया। यूट्यूबर्स ही नहीं, कई बुद्धिजीवी भी इस काम में जुट गए। इतना ही नहीं, रिपोर्टिंग की ड्यूटी करते हुए दैनिक भास्कर के पत्रकार मनीष सिंह चौहान व अतुल सिंह और फोटो जर्नलिस्ट मुकेश परिहार व रमेश डाबी ने स्कूली बच्चों की सहायता में जुट गए। वाकई ये सभी साधुवाद के पात्र हैं।

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