डॉ बाहेती व स्वर्गीय श्री दशोरा में थी गहरी दोस्ती

आज जब एक ही पार्टी के नेता एक दूसरे को निपटाने में लगे हुए हैं, यकायक वह दौर ख्याल में आ जाता है, जब भिन्न पार्टी के नेता भी आपस में सदाशयता रखते थे। दलगत राजनीति बेशक अलग हो, मगर व्यक्तिगत दुश्मनी का भाव नहीं रखा करते थे, उलटे दोस्ताना व्यवहार हुआ करता था। आज कम लोगों को ही यह जानकारी होगी कि गांधीवादी माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्थानीय प्रतिबिंब पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती जब शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे और तत्कालीन शहर जिला भाजपा अध्यक्ष स्वर्गीय श्री पूर्णाशंकर दशोरा के बीच गहरी दोस्ती थी। आपस में खूब पटती थी। यह कोई गोपनीय तथ्य नहीं, तब बाकायदा जनचर्चा का विषय था। दोनों अपनी-अपनी पार्टी की विचारधारा व कार्यक्रमों के प्रति एक निष्ठ रहे, फिर भी दोस्ती कायम रही। न तो कोई निजी विवाद हुआ और न ही सार्वजनिक। वस्तुतः तब राजनीति का मिजाज कुछ और हुआ करता था। चूंकि बाहेती व दशोरा सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे, इस कारण उनमें राजनीति से जुड़ी आवश्यक बुराइयां गिनाई जा सकती हैं, मगर निजी जिंदगी दोनों की कितनी सरल, सहज, सौम्य रही, यह सब जानते हैं। खबर के मामले में भी दशोरा जी व डॉ. बाहेती में एक साम्य रहा। आमतौर पर राजनीतिज्ञ, पत्रकारों से इस मोह में रिश्ता रखते हैं कि उन्हें प्रचार का ज्यादा अवसर मिलेगा, लेकिन दशोरा जी ने कभी संबंधों का इसके लिए दुरुपयोग नहीं किया। ठीक ऐसा ही है डॉ. बाहेती में, वे भी खबर या नाम के लिए बहुत ज्यादा फांसी नहीं खाते। बहुत जरूरी हो तो ही खबर जारी करते हैं।
कुछ इसी प्रकार की मित्रता तत्कालीन नगर सुधार न्यास अध्यक्ष स्वर्गीय श्री माणकचंद सोगानी व वरिष्ठ भाजपा नेता औंकार सिंह लखावत के बीच थी। सोगानी ने लखावत के आग्रह पर चारण साहित्य शोध संस्थान के लिए न्यूनतम दर पर भूमि का आबंटन किया था।

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