संपत सांखला होंगे एडीए अध्यक्ष
कानाफूसी है कि अजमेर नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर संपत सांखला को अजमेर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। बताया जाता है कि एकाधिक दावेदारों के बीच जबरदस्त खींचतान मची हुई है। सांखला प्रत्यक्षतः इस दौड में नजर नहीं आते। मगर बताते हैं कि उनकी ताजपोशी का ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया गया है। समझा जा सकता है कि चौसर बिछाने वाला मास्टर माइंड कौन होगा, जो शह और मात का खेल बखूबी जानता है। जाहिर तौर पर इसके लिए एक नया सियासी तानाबाना बुना जा रहा है, जिसके अजमेर की राजनीति में दूरगामी परिणाम आ सकते हैं। बताया जाता है कि रमेश सोनी को दुबारा शहर जिला भाजपा अध्यक्ष बनाया ही इसलिए गया कि एडीए की सीट खाली रखी जाए, वरना उनके मुकाबले कोई और सशक्त दावेदार था ही नहीं।
हेमंत भाटी का शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनना पक्का
लंबे समय से रिक्त अजमेर शहर जिला अध्यक्ष पद, जिसे कि निवर्तमान के तौर पर विजय जैन ढो रहे हैं, जल्द ही भर दिया जाएगा। अनौपचारिक रूप से पद की जिम्मेदारी संभालते संभालते जैन थक गए हैं, मगर इस पद के प्रति उनका लगाव इतना गहरा हो गया है कि अब इसे छोडना नहीं चाहते। सोने का पिंजरा अमूमन उडने की चाह ही खत्म कर देता है। अलग अलग गुटों के दावेदार भी मशक्कत कर रहे हैं। नतीजतन फैसला होने में दिक्कत आ रही है। चूंकि वीटो सचिन पायलट के हाथ में है, इस कारण सभी उनका मुंह ताक रहे हैं। बताया जाता है कि उन्होंने हेमंत भाटी को होल्ड पर रखा हुआ है। मौका पडते ही वे यह पत्ता चल देंगे।
धर्मेन्द्र सिंह राठौड की काट भंवरसिंह पलाडा
अजमेर में अभी दो विधानसभा सीटें हैं, मगर समझा जाता है कि परिसीमन के बाद तीन सीटें हो जाएंगी। तब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अजमेर दक्षिण व अघोषित रूप से सिंधियों के लिए आरक्षित अजमेर उत्तर के अतिरिक्त तीसरी सीट अनारक्षित रह जाएगी। आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राठौड की नजर उसी सीट पर है। इसीलिए अभी से हांफने वाली रफ्तार से दौड रहे हैं। योजनाबद्ध तरीके से जाजम बिछा रहे हैं। यूं तो भाजपा के पास एकाधिक दावेदार मौजूद हैं, मगर पार्टी में अंदरखाने चर्चा है कि राठौड का मुकाबला भंवर सिंह पलाडा ही कर पाएंगे। साम, दाम, दंड, भेद, हर लिहाज से।
पुखराज पहाडिया की नजर ब्यावर जिला परिषद पर
अजमेर के जिला प्रमुख रह चुके पुखराज पहाडिया यूं तो एडीए अध्यक्ष बनना चाहते हैं, मगर इस सीट को लेकर बडे झगडे हैं। दौड में नंबर वन हैं, मगर राजनीति में नंबर वन को ही टंगडी लगती है। यह बात अनुभवी पहाडिया भलीभांति जानते हैं। इसीलिए अपनी जेब में सेकंड प्लान रखे हुए हैं। फिलवक्त कहीं जाहिर नहीं होने दे रहे कि उनकी रुचि ब्यावर में है, मगर भीतर ही भीतर ताना बाना बुन रहे हैं। उन्हें पंचायती राज व्यवस्था की गहरी जानकारी है। पिछली बार पार्टी हाईकमान की मर्जी के खिलाफ वार्ड मेंबरों को अपने कब्जे में लेकर पूरे दमखम से जिला प्रमुख बने। फिर अविश्वास प्रस्ताव आया तो इस चतुर राजनीतिज्ञ ने अपने रणनीतिक कौशल को प्रदर्षन कर दिखाया। अगर ब्यावर जिला प्रमुख बनने की ठान ली तो उन्हें कोई नहीं रोक पाएगा।
धर्मेश जैन होंगे मार्गदर्शक मंडल में
अजमेर यूआईटी के अध्यक्ष रहे धर्मेश जैन की पार्टी की लंबे समय से सेवाओं को देखते हुए भाजपा मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया जा रहा है। पार्टी चाहती है कि उनके गहन अनुभव का लाभ लिया जाए। हालांकि वे अब भी चाहते हैं कि पिछले कार्यकाल में अधूरे रहे कामों को पूरा कर अजमेर को आदर्श शहर बनाएं, मगर गंगा का पानी बहुत बह गया है। जमीन पर हालात बदल गए हैं। मगर जयपुर से लेकर दिल्ली तक उनकी पकड अब भी बरकरार है। सीधे नरेन्द्र मोदी तक पहुंच है। पार्टी के बडे नेता भी चाहते हैं कि उनकी योग्यता का लाभ उठाया जाए। इसीलिए उन्हें मार्गदर्शक मंडल में शामिल किए जाने पर विचार किया जा रहा है। वस्तुतः उनके जितना सीनियर कोई नेता नहीं है। इसलिए अब भीष्म पितामह की ही भूमिका की उपयुक्त प्रतीत होती है। वैसे बनती कोशिश वे स्वयं नहीं तो पुत्र अमित जैन को एडजस्ट करवा कर ही मानेंगे।
बुरा न मानो होली है