पोखर जी को पानी हाल्यो, ठिठुरण चाल्यो

एक पुरानी कहावत है- पोखर जी को पानी हाल्यो, ठिठुरण चाल्यो। इसका अर्थ है कि जब पोखर जी यानि पुष्कर के सरोवर का पानी हिलता है तो सर्दी ठिठुरा देती है। कुछ लोग कहते हैं- पोखर जी को पानी हाल्यो, सर्दी चाल्यो। वस्तुतः कार्तिक माह के मेले के दौरान पुष्कर सरोवर में तीर्थयात्री स्नान करते हैं और पानी हिलता है तो ठंड बहुत तेज हो जाती है, सर्दी पूरे यौवन पर आती है, इसी को लेकर मारवाड और अजमेर अंचल में यह कहावत बोली जाती है। यह कहावत मौसम और लोकजीवन के गहरे अनुभव से उपजी है। ज्ञातव्य है कि कार्तिक एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक पुष्कर में विशाल मेला भरता है। इसी समय उत्तर भारत में ठंडी हवाएं चलनी शुरू होती हैं।
हालांकि पिछले कुछ सालों में यह देखा गया है कि मौसम चक्र में परिवर्तन के कारण पुष्कर मेले के दौरान सर्दी नहीं बढी, मगर इस बार मावठ की बारिश होने के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि कहावत कुछ कुछ चरितार्थ हो रही है। हालांकि अब भी उतनी कडक व ठिठुराने वाली सर्दी नहीं पड रही, जिसके लिए कहावत बनी थी।

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