-सुरेन्द्र जोशी- केकडी। विधान सभा चुनाव से कुछ समय पूर्व ही हुए इस छात्रसंघ चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अग्रिम संगठन माने जाने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की भारी मतो के अंतर से हुई जीत के कई राजनैतिक मायने भी लगाये जाने लगे है। हालांकि यह चुनाव सीधे तौर पर भले ही विधानसभा चुनाव के नतीजो को प्रभावित नहीं करते हो मगर राजनीति के जानकार इस चुनाव में हुई एबीवीपी की जीत को आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये खतरे का संकेत मानते है। सूत्रो का कहना है कि पिछले साढे चार सालो में इलाके के विकास पर कई हजार करोड़ रूपये खर्च करने का दावा करने वाली कांग्रेस का अग्रिम संगठन माने जाने वाले एनएसयूआई का इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहना न केवल स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के लिये चिंताजनक है वरन आने वाले समय में उसके लिये मुसीबत का सबब भी बन सकता है। हालांकि स्थानीय स्तर पर छात्रसंघ चुनाव का पुराना इतिहास भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहा। इससे पूर्व हुए चुनाव में यद्यपि निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी थी, मगर इससे पूर्व हुए दो साल के चुनावी नतीजे भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं थे। मगर इस बार राजस्थान में कांग्रेस सरकार की कई फ्लेगशिप योजनाओं के साथ-साथ इलाके में ‘विकास पुरूष’ के नाम से स्थापित हुए स्थानीय विधायक व सरकारी मुख्य सचेतक डॉ.रघु शर्मा द्वारा विकास की गंगा बहाये जाने व राजकीय महाविद्यालय को भी क्रमोन्नत करवाने सहित छात्र हितो से जुड़े कई पहलूओं को गम्भीरता से निस्तारित कराये जाने से छात्रसंघ चुनाव में इसका सीधा लाभ कांग्रेस के अग्रिम संगठन एनएसयूआई को मिलने की सम्भावनाएं जताई जा रही थी, मगर छात्रसंघ चुनाव परिणाम ने
एनएसयूआई को तीसरे स्थान पर धकेल कर न केवल एबीवीपी की जीत ही सुनिश्चित कर दी वरन स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की धडक़ने भी तेज कर दी है। हालांकि यह बात अलग है कि कांग्रेस के अग्रिम संगठन की जीत सुनिश्चित करने में स्थानीय स्तर पर कांग्रेस द्वारा भी कोई सार्थक प्रयास नहीं किये गये। जबकि आगामी विधानसभा चुनाव के लिये इलाके से अच्छा संदेश तैयार करने के लिये भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता इस चुनाव में शुरू से ही सक्रिय रहे। बहरहाल कमी किसी भी स्तर पर रही हो विधानसभा चुनाव से एन पहले हुए छात्र संघ के इस चुनाव को सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में भी देखा जा रहा है