मुख्यमंत्री जी, इस बढ़ती महिला हिंसा पर आप क्या कहना चाहेंगी?

vasundhara 20-बाबूलाल नागा- राजस्थान की नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कलक्टर-एसपी क्रांफ्रेंस में पुलिस अफसरों को कार्यशैली में बदलाव के साथ ही सादगी बरतने की नसीहत दी है। कहा है कि पुलिस महकमा महिला अत्याचारों को गंभीरता से लें और महिला छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ ऑपरेशन गरिमा अभियान को सख्ती से लागू करें। महिला अत्याचारों के मामलों में समय पर चालान पेश किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए नौकरशाही पर लगाम कसी है। मुख्यमंत्री ने जब पुलिस अधीक्षकों को सवाल किया कि महिला उत्पीड़न की रोकथाम के लिए त्वरित कार्रवाई कैसे की जाए, तो अफसरों को जवाब देते नहीं बना। मुख्यमंत्री जी, प्रदेश में इस बढ़ती महिला हिंसा पर आप भी तो कुछ कहिए।
आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में महिला हिंसा में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। महिलाओं को न्याय दिलाने वाली व्यवस्था का कोई धनी धोरी नहीं है। महिलाओं के साथ मारपीट, बलात्कार, दहेज हत्या जैसे कई अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। सितंबर 2012 से सितंबर 2013 तक महिला अत्याचार के मामलों में 29.87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सितंबर 2013 तक राजस्थान में दुष्कर्म के 56.95 प्रतिशत मामले बढ़े हैं। अन्य मामलों में दहेज उत्पीड़न में महिलाओं को प्रताड़ित कर घर से बाहर निकालना, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के मामले शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2012 से लेकर सितंबर 2013 तक महिला उत्पीड़न के मामलों में 10.33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सितंबर 2012 तक 10,587 मामले थे जो सितंबर 2013 तक बढ़कर 11,978 हो गए। इस एक वर्ष की अवधि में छेड़छाड़ के मामलों में 98.32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सितंबर 2012 तक छेड़छाड़ के 1845 मामले दर्ज किए गए थे जो सितंबर 2013 तक बढ़कर 3659 हो गए। दहेज प्रताड़ना के मामलों में 14.75 प्रतिशत और अपहरण मामलों में 46.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस तरह महिला अत्याचार के प्रदेशभर के थानों में जहां 2012 में कुल 17,692 मामले दर्ज थे वहीं सितंबर 2013 तक ये बढ़कर 22,827 हो गए। यानी महिला अत्याचार के 5135 मामले बढ़े। राज्य महिला आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी जयपुर और पूर्वी राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराधों का ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बलात्कार, छेड़छाड़, दहेज क्रूरता, दहेज हत्याओं के मामले जयपुर और पूर्वी राजस्थान के जिलों में बढ़े हैं। आयोग के पास बीते दो साल में 5,630 मामले सुनवाई के लिए आए। उनमें से 731 मामले दहेज क्रूरता के थे। बलात्कार के 390 मामले सुनवाई के लिए सामने आए, हालांकि पुलिस रिकॉर्ड में 700 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
दहेज हत्याओं के मामले बढ़ना भी चिंताजनक है। हर साल दहेज हत्या के 40 मामले राज्य महिला आयोग के पास सुनवाई के लिए आ रहे हैं। अकेले जयपुर में ही ग्यारह दहेज हत्याओं के मामले सामने आए जबकि 158 मामले दहेज क्रूरता के सुनवाई के लिए आए। प्रदेश के अन्य जिलों से भी दहेज से जुड़े मामले आयोग के समक्ष पहंुचे हैं। भरतपुर, दौसा और अलवर सभी में 35-35 और भीलवाड़ा में 28 मामले दहेज क्रूरता के आए। दहेज हत्या से जुड़े मामलों में अलवर में 8, भरतपुर में 6 बेटियों को बलि चढ़ा दिया गया। राज्य के दस जिलों में दहेज हत्याओं के मामलों में स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है। बीकानेर, कोटा, बारां, झालावाड़, जैसलमेर, नागौर, श्रीगंगानगर, सिरोही, हनुमानगढ़ और प्रतापगढ़ ऐसे जिले हैं, जहां दहेज हत्या का कोई मामला सुनवाई के लिए नहीं आया है। प्रदेश में बलात्कार के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। हर साल 200 मामले तो अकेले महिला आयोग के पास ही सुनवाई के लिए पहुंच रहे हैं। बीते दो साल मेें अयोग के पास 390 मामले सुनवाई के लिए आए हैं। प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों का ग्राफ किस तेजी से बढ़ा है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि बीते साल में नए 6 हजार मामले राज्य पुलिस ने महिला अपराधों के दर्ज किए हैं। आंकड़ों के अनुसार 12 हजार से अधिक मामलों में पुलिस ने चालान पेश किया है, जबकि 5,110 मामले पुलिस विभाग के पास और साढ़े तीन हजार मामले राज्य महिला आयोग के पास लंबित है।
बहरहाल, कलक्टर-एसपी कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने महिला उत्पीड़न पर अपनी चिंता जताई है। महिला अपराधों को कम करने के लिए प्रभावी रणनीति बनाई है और अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं। उम्मीद है उनके इस कदम से व्यवस्था में बदलाव आएगा और समय पर पीड़िताओं को राहत मिल सकेगी। (विविधा फीचर्स)

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