केजरीवाल जी, क्या इतने ही नेता लोकसभा में भ्रष्ट हैं

arvind_kejriwal-गौरव अवस्थी – ईमानदारी  सर्टिफिकेट लेकर राजनीति में आये मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आज भ्रष्टाचारी सांसदों की फेहरिस्त जारी  कर राजनीति में एक नया धमाका  कहें एक नया शिगूफा छोड़ा। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश में लोकसभा में 543 सांसद चुनकर आते हैं। अगर केजरीवाल की लिस्ट इतने पर ही टिकी है तो यह सिर्फ पूरे देश के राहत की बात है कि देश में सिर्फ 26 सांसद ही भ्रष्ट हैं। लिस्ट जारी होने के बाद यह सवाल उठा है  कि यह आप की राजनीतिक रणनीति है या भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जंग का हिस्सा। बेशक आप कहेगी कि यह हमारी जंग का हिस्सा है तो उनको यह समझाना पड़ेगा कि जंग में संकुचन क्यों।  जंग जंग होती है। जिस जंग में हार-जीत का गुना-भाग लगे तो वह जंग नहीं होती और कुछ भी हो। आप को चाहिए था कि देश के सभी भ्रष्टाचारी सांसदों की सूची तैयार करती और उनके खिलाफ वह उम्मीदवार उतारती। रिजल्ट चाहे जो होता। हार-जीत का गुना भाग उसे राजनीति में सांता है ना कि अलग खड़ा करता है। लोगो ने उन्हें सपोर्ट तो कुछ अलग देख और महसूस कर दिया है ना  कि उसी धारा में मिल जेन के लिए दिया है।
दरअसल, आप जानती है कि इतने बड़े देश में एकबारगी पार्टी का फैलाव मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव बात है। जब आजादी के 67 साल में सवा सौ साल पुरानी पार्टी कांग्रेस पूरे देश में नहीं खड़ी हो पायी। बीजेपी को नाको चने चबाने रहे हैं तो उसकी क्या बिसात। इसीलिए बड़ी खूबसूरती से उसने कुछ बड़े नेताओं पर अपने निशाना तय कर लिया। उससे मैसेज भी निकल जायेगा और काम भी बन जायेगा। उनकी लिस्ट में राहुल गांधी जैसे नेता का नाम होना और  का नाम ना  होना लोगों को अचरज में डालने वाला है। उनकी लिस्ट में कुछ ऐसे नेताओं के नाम भी हैं जिनकी इस चुनाव में हालत अपने क्षेत्र में ख़राब है।  मतलब यह कि वह चुनाव हार भी सकते हैं। केजरीवाल ने  से ऐसे नाताओं के नाम भी अपनी लिस्ट में गिनाये है ताकि हार का श्रेय उनकी आम आदमी पार्टी  जाये। इसीलिए अपनी राष्ट्रीय परिषद् में उन्होंने इसी पर फोकस किया।
     केजरीवाल की नजर में देश में भ्रष्टाचार आज सबसे बड़ा मुद्दा है। इसी से उन्हें दिल्ली की गद्दी मिली है। भ्रष्टाचारी सांसदों की जो लिस्ट उन्होंने जारी की है और उन्हें उनके चुनाव क्षेत्र में घेरने का एलान किया है उसमे भ्रष्टाचार से ख़त्म करने की कम राजनीती में अपनी जगह ( स्पेस) बनाने की कवायद नजर आती है।  ऐसा ही तीर  उन्होंने दिल्ली विधान सभा चुनाव की तैयारियों के वक्त भी छोड़ा था।  शीला दीक्षित सरकार में घोटालों की 370 पेज की एक रिपोर्ट उन्होंने आदरणीय मतदाताओं के सामने पेश की थी। उन्हें  बताया गया था कि दिल्ली में  कितना भ्रषटाचार है। अगर उन्हें  मिला तो वह तीर चलाएंगे कि सारे भ्रष्टाचारी ढेर हो जाएंगे। दिल्ली कि गद्दी पर आसीन होने के बाद उन्होंने बड़ी चतुराई से 370 पेज की रिपोर्ट को मीडिया रिपोर्ट पर आधारित बताकर किनारा कस लिया। जो मीडिया की रिपोर्ट चुनाव से पहले सौ थी सत्ता में आने पर वही उनके लिए अविश्वसनीय हो गयी। लोगो को याद होगा यूपी का 2007 का विधानसभा चुनाव।
gaurav avasthiमायावती ने लगभग सभी सभाओं में कागा कि चुनाव बाद मुलायम सिंह यादव या तो विदेश भाग जायेगा या जेल में होगा। उनके 5 साल का कार्यकाल ख़त्म हो गया।  राज  छिन गया लेकिन ना तो मुलायम सिंह जेल गए और ना ही विदेश भागे। दरअसल , राजनीति का यह महत्वपूर्ण पहलु है कि उम्मीदों के आसमान पर वोटरों को चढ़ाकर उनका वोट ले लो बाद में चाहे जो करो। ऐसे तमाम उदाहरण हर दल-राज्य में हैं। आप उनसे अलग करती और दिखती तो उम्मीद कि जाली नई लौ कम से कम मद्धिम तो ना पड़े। आमीन
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