सोनिया को घेरने में योग गुरू का दांव फेल

ramdev babaयोग गुरू स्वामी रामदेव की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रायबरेली में घेरने की पहली ही कोशिश धड़ाम हो गई। उमा भारती ने ही रामदेव की योजना को ठेंगा दिया। उमा से दांव खाने के बाद रामदेव को रायबरेली यात्रा भी रद्द  करनी पड़ी। वे 29 मार्च को रायबरेली पहुँचने वाले थे। मोदी लहर भांपकर इस समय भाजपा में अंदरूनी राजनीति भी चरम पर है। पार्टी ने पहले उमा भारती की मरजी के खिलाफ उन्हें झाँसी से बना दिया। उमा ने यह निर्णय कबूल करके तैयारी शुरू कर दी। इधर कांग्रेस ने वड़ोदरा से पार्टी प्रत्याशी को अपने पक्ष में मैनेज जाने के बाद हाई कमान ने यूपी प्रभारी मधु सूदन मिस्त्री को मैदान में उतार दिया। भाजपा कैम्प को कांग्रेस की यह घेराबंदी  आयी और  सोनिया-राहुल गांधी को रायबरेली-अमेठी में घेरने की रणनीति शुरू कर दी। यहीं रामदेव को मौका मिल गया और अति उत्साह में उन्होंने झाँसी की उम्मीदवार उमा भारती के नाम का प्रस्ताव मीडिया के जरिये पेश कर दिया। हालाँकि जानने वाले कहते हैं कि उमा के नाम का प्रस्ताव भी भाजपा कि अंदरूनी राजनीती का ही हिस्सा थी। बाबा रामदेव तो मोहरा बनाकर इस्तेमाल किये गए। भाजपा के एक धड़े को यकीन था कि उमा बाबा के प्रस्ताव को मान  एक तीर से दो निशाने सध जाएंगे लेकिन उमा तो  ” उमा-रमा-ब्रम्हाणी ” निकलीं। उन्होंने पार्टी के अंदर के विरोधियों की चाल पकड़ ली और दोनों सीटों से चुनाव लड़ने का बयां दे दिया। पहले तो उन्होंने प्रस्ताव को बाबा की खुद की सोच बताकर कुछ आलोचनात्मक बात संकेत में कही लेकिन बाद में बयां संशोधित कर बाबा कि बड़ाई भी कर दी लेकिन बाबा कि योजना को पलीता लग गया। बाबा उमा के मान जाने के विश्वास में रायबरेली का प्रोग्राम भी तय कर दिए। रायबरेली में 29 तारीख को उनके पंहुचने की तयारी भी जोर-शोर से शुरू हो गई। उमा की इन्कारी के बाद बाबा को अपना कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ा। भाजपा ने भी अपना दामन यह कहते हुए बचाया कि कोई सशक्त प्रयाशी ही रायबरेली से उतारा जायेगा।

गौरव अवस्थी
गौरव अवस्थी

दरअसल, रामदेव गांधी परिवार से तबसे खुन्नस खाये खाये हैं जबसे उन्हें लड़की के कपडे पहनकर दिल्ली के रामलीला मैदान से भागना पड़ा था। रामदेव की कम्पनी पर कांग्रेस के ही राज में उत्तराखंड में दर्जनो मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।

  उधर, आम आदमी पार्टी भी रायबरेली से अभी तक उम्मीदवार देने में असफल रही है। उसे भी कोई सशक्त प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। जो भी नाम अब तक सामने आये हैं वह लोकल ही हैं। उनका लड़ना और ना लड़ना बराबर ही है।
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