-अंबरीश कुमार- लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा की बढ़त को मीडिया लहर में तब्दील कर रहा है। इसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ने लगा है और भगवा ब्रिगेड बम बम है। मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पक्ष में उसी तरह गोलबंद हो रहा है जैसे मंदिर आन्दोलन के समय हुआ था। तथ्य से हटकर भावनाओं में बहकर खबरे लिखी गईं और गढ़ी गईं। फिर वही हो रहा है। तब भावना थी और राम लला थे। अब अथाह पैसा है, नरेन्द्र भाई मोदी है और समूचा कारपोरेट घराना है। इसका असर दिख रहा है। खबरे गढ़ी जा रही है सर्वे तैयार किए जा रहे है। और तो और नेताओं के इंटरव्यू भी प्रायोजित हो गए हैं। इसमें चैनल सबसे आगे हैं। वे जो भगवा परिवार को समर्पित हैं वे भी और वे भी जो वामपंथी मुखौटा लगाए हुए हैं। प्रमुख राष्ट्रीय अख़बार कम से कम इतनी बेशर्मी से किसी पार्टी का पक्ष फिलहाल नहीं ले रहे हैं। पर अख़बारों में भी एक वर्ग शालीनता के साथ हवा बनाने की कवायद कर रहा है। यह हवा क्या है और कहाँ-कहाँ पर बह रही है इसकी पड़ताल भी होनी चाहिए। यह तय है कि भाजपा बढ़ रही है पर कितनी बढ़ रही है यह सवाल है। पश्चिम में दंगों की वजह से मजहबी गोलबंदी का असर पड़ना तय था और वह हुआ भी। भाजपा को इसका फायदा पहले दौर में तीन सीट और दूसरे दौर में भी ज्यादा से ज्यादा तीन चार सीट का हो सकता है। पर इसके भाजपा का अश्वमेध का घोड़ा रुक जाएगा। इस दौर में एटा इटावा, मैनपुरी और कन्नौज है। इस अंचल का एक हिस्सा मुलायम परिवार का गढ़ है। इसके साथ ही जातियों की गोलबंदी शुरू हो जाती है। अहीर किसको वोट देगा और दलित किसको देगा यह किसी को समझाना नहीं पड़ता।
पर मायावती के इस तरह के भाषण मीडिया में उतनी जगह नहीं पाते जितना बच्चो की जनरल नालेज चौपट करने वाली मोदी की टिप्पणी को मीडिया में जगह मिलती है। नालंदा तक्षशिला से लेकर अंडमान में भगत सिंह वाली टिप्पणी उदाहरण है। मोदी तो भूगोल से ले कर इतिहास तक नए सिरे से समझा रहे हैं। पर मीडिया नतमस्तक है। कॉरपोरेट क्षेत्र से जमकर पैसा आ रहा है। खबरें भी काफी सकारात्मक बन रही हैं। बातचीत भी करता है तो तालियाँ बजाने वालों का इंतजाम भी। अब न तो किसी को मार्कंडेय काटजू याद आ रहे हैं और न ही प्रेस कौंसिल। सारा युद्ध फेसबुक पर लड़ा जा रहा है। किसी ने मीडिया की अंधेरगर्दी को लेकर एक अर्जी भी प्रेस कौंसिल को देना उचित नहीं समझा। ऐसे में मीडिया अगर भाजपा की बढ़त को लहर में बदलने की कवायद करे तो उसे रोकेगा भी कौन।
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