–मुकेश कुमार- क़मर वहीद नक़वी जी के इंडिया टीवी छोड़ने का असली कारण क्या हैं ये उनको पता है या फिर उनके निकट के लोगों को। उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं लिखा-कहा है, इसलिए लोग कयास लगाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने तो अपने इस्तीफ़े में भी शायद कोई कारण नहीं बताया है। अलबत्ता इसकी टाइमिंग ऐसी रही है कि उनके इस क़दम को सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी के विवादित और शायद प्रायोजित भी, इंटरव्यू से जोड़कर देखा जा रहा है। हो सकता है कि पहले से ही मोदी और बीजेपी का भोंपू बन चुके इंडिया टीवी का ये कार्यक्रम नक़वी जी को असह्य लगा हो और उन्होंने तुरंत छोड़ देने का फ़ैसला कर लिया हो।
ये तो सब जानते हैं कि घटिया कंटेंट की वजह से अच्छे ब्रांड “इंडिया टीवी” पर विज्ञापन नहीं देना चाहते थे और अगर कुछ देते थे तो बहुत ही कम दरों पर। “आज तक” के मुक़ाबले उसकी विज्ञापन दरें एक तिहाई ही थीं, जबकि टीआरपी में ख़ास फर्क नहीं था। ये तो सबको पता है कि नक़वी जी के जुड़ने से पहले “इंडिया टीवी” की पहचान क्या थी। जब किसी को घटियातम चैनल की मिसाल देना होता था तो वह उसी का ज़िक्र करता था। नक़वी जी ने चैनल को न्यूज़ पर लाकर ये काम कर दिया। भले ही आज ये चैनल बीजेपी के प्रवक्ता के रूप में जाना जाता हो,मगर कोई ये नहीं कह सकता कि इसमें भूत-प्रेत, चमत्कार या सनसनीखेज़ सामग्री दिखलाई जाती है।
पिछले एक साल से इंडिया टीवी पहले की ही तरह तीसरे नंबर पर बना हुआ है और पहले के मुक़ाबले उसकी टीआरपी में भी मामूली गिरावट हुई है (पहले ये 14 के आसपास होती थी और अभी 13 के आसपास है)। कंटेंट में सुधार की तुलना मे ये गिरावट कोई मायने नहीं रखती। लोगों का तो मानना ये था कि इंडिया टीवी कंटेंट बदलने के चक्कर में बहुत नीचे लुढ़क जाएगा, क्योंकि उसका दर्शक वर्ग उसे पसंद नहीं करेगा। लेकिन साफ़ है कि नक़वी जी न केवल उसमें से एक बड़े हिस्से को साथ रखने में कामयाब रहे, बल्कि उन्होंने नया दर्शक वर्ग भी जोड़ लिया।
यहाँ ये भी ध्यान रखने की ज़रूरत है कि पिछले एक साल में चैनलों के बीच प्रतिस्पर्धा बेहद बढ़ गई है। न्यूज़ नेशन जैसा चैनल आया, जिसने अपने लिए एक विशेष जगह बना ली। दूसरे चैनलों ने भी न्यूज़ कंटेंट को सुधारा है। इन सबने टीआरपी में अपना हिस्सा बढ़ाने की ज़बर्दस्त कोशिश की है। लेकिन नक़वी जी ने इस तगड़ी होड़ के बीच भी इंडिया टीवी की जगह बरकरार रखी और उसकी छवि भी बदल डाली।
साफ़ है कि नक़वी जी पर टीआरपी संबंधी तोहमत लगाना ठीक नहीं है। इसका न तो कोई आधार है और न ही सिर-पैर। इंडिया टीवी को इससे बचना चाहिए था। बेहतर होगा यदि अभी भी वह अपने आरोप को वापस ले ले और इस तक़रार को यहीं विराम दे दे।