नगरपालिका चुनावों की तारिख जेसे जेसे नजदीक आ रही है वेसे वेसे चोपलों पर चर्चाएँ गर्म होती जा रही है। डीडवाना नगरपालिक जहाँ फ़िलहाल कांग्रेस का बोर्ड है में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। एक तरफ जहाँ सत्ता में पहले से काबीज कांग्रेस है वहीँ दूसरी तरफ लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा है। दोनों ही गलियारों में टिकट दावेदारों की भारी भीड़ है इस बार सबसे खास बात यह रहेगी की दोनों ही पार्टियों में युवा चहरे ज्यादा रहने की सम्भावना है।मगर दोनों ही दलों के लिए चुनावी डगर इतनी आसान भी नहीं है दोनों दलों में दावेदारों की संख्या 300 के पार है ऐसे में दोनों ही दलों के लिए टिकट वितरण टेढ़ी खीर बना हुआ है, कांग्रेस ने तो फिर भी कुछ वार्डों में उमीदवारों के नाम घोषित करने की हिम्मत जुटाइ है लेकिन भाजपा की मुश्किलें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है । दावेदारों की संख्या ज्यादा होने की वजह से चुनावों के समय भितरघात और बागियों की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। दोनों ही दलों के लिए इस बार चुनाव मूंछ की लड़ाई साबित हो रही है। सार्वजनिक निर्माण और परिवहन मंत्री का गृह निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से भाजपा इन चुनावों में किरकिरी नहीं चाहेगी वहीँ कांग्रेस भी फिर से सत्ता में आकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मिली हार के घावों को भरना चाहेगी। जेसे जेसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे गली मोहल्लों में लगने वाली चोपलों में स्थानीय दावेदारों हस्तक्षेप भी बढ़ रहा है हर कोई सम्मिकरण अपनी और मोड़ने में लगा हुआ है। वेसे निकाय चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दे गौण रहते हैं स्थानीय मुद्दे और जातीय समीकरण ज्यादा प्रभावी होते हैं और वोटों का गणित भी उसी हिसाब से लगाया जाता है। टिकट वितरण में दुविधा का सबसे बड़ा कारण भी यही होता है। वेसे आज नामांकन दाखिल होने शुरू हो जायेंगे ऐसे में कोन कितने संतुष्ट और प्रबल उमीदवार उतार पाता है यह देखने वाली बात होगी।
हनुमान तंवर