महाराष्ट्र में यह कैसी राजनीति

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

महाराष्ट्र में बुधवार को भाजपा की अल्पमत सरकार ने ध्वनिमत से बहुमत दिखा दिया। इससे पहले भाजपा के विधायक हरिभाऊ बागड़े ने सर्वसम्मिति से विधानसभा के अध्यक्ष मन लिए गए। बागड़े ने विधानसभा अध्यक्ष की हैसियत से घोषणा कर दी कि सदन में जो विधायक उपस्थित उनमें से आधे से ज्यादा ने भाजपा सरकार के पक्ष में हां बोला है। चूंकि यह विधानसभा अध्यक्ष का फैसला रहा, इसलिए संवैधानिक दृष्टि से यह मान लिया गया कि भाजपा सरकार ने बहुमत साबित कर दिया है। लेकिन विधानसभा के बाहर जो कुछ देखने को मिला उसने महाराष्ट्र की राजनीति के चारों खाने चित कर दिए। जिस शिवसेना का जन्म ही कांग्रेस की खिलाफत करते हुए है, उस शिवसेना के नेताओं ने कहा कि हम कांग्रेस के विधायकों के साथ इस मामले को राज्यपाल के पास ले जाएंगे। इस प्रकार चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस एनसीपी को भ्रष्ट पार्टी कहा और उसके चुनाव चिह्न घड़ी को लेकर मजाक उड़ाया, उसी एनसीपी ने कहा कि हमारा समर्थन भाजपा की सरकार के साथ बना रहेगा। भले ही आज सदन में विश्वासमत प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं हुई हो,लेकिन यदि वोटिंग होगी तो हम भाजपा सरकार के पक्ष में वोट डालेंगे। भाजपा के साथ एनसीपी और शिवसेना के कांग्रेस के होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र की राजनीति कैसी हो गई है। असल में कांग्रेस की गत सरकार ने जो काले कारनामे किए उससे एनसीपी बचना चाहती है। वही भाजपा से बदला लेने के लिए अब शिवसेना को कांग्रेस से हाथ मिलने पर भी कोई गुरेज नहीं है। संविधान के विशेषज्ञ बुधवार की घटना पर विलेषण करते रहेंगे, लेकिन फडऩवीस तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन ही गए।                  (-एस.पी.मित्तल)

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