टॉयलेट पॉट से बनाई गणेश की प्रतिमा को कला बताया

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

भारतीय संस्कृति को मानने वाला शायद ही कोई इंसान होगा, जो भगवान गणेश का अपमान बर्दाश्त करे। 14 नवम्बर को जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में कला कृतियों की प्रदर्शनी लगी। इस प्रदर्शनी में उदयपुर के कलाकार कहे जाने वाले भूपेश कावडिय़ा ने टॉयलेट पॉट से भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनाई और कहा कि यह आधुनिक कला है। कावडिय़ा ने यह भी कहा कि कलाकार को अभिव्यक्ति का पूरा अधिकार है। कावडिय़ा के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन प्रदर्शनी को देखने वाले कुछ लोगों ने हाथों-हाथ उस बेहूदा कला को नष्ट कर दिया। साथ ही चेतावनी दी कि देवी-देवताओं का अपमान करने वालों को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यहां सवाल उठता है कि जवाहर कला केन्द्र एक सरकारी संस्थान है। उसमें एक सम्प्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली अभिव्यक्ति कैसे हो सकती है।
12इस मामले में केन्द्र के अधिकारियों और प्रदर्शनी के आयोजकों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम में मौके पर पहुंची एक महिला अफसर का बयान भी हास्यास्पद रहा। बिना जांच पड़ताल के ही इस महिला अफसर ने चैनल पर कहा कि तोडफ़ोड़ करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। इस बयान के बाद ही केन्द्र के निदेशक उमरावमल सालोदिया ने कलाकार कावडिय़ा के कृत्य को उचित नहीं माना। इससे जाहिर होता है कि कई बार तो पुलिस ही मामले को बिगाड़ती है। हालांकि तोडफ़ोड़ के बाद प्रगतिशील कहे जाने वाले लोग भी कावडिय़ा के समर्थन में उतर आए हैं, लेकिन इन सबको यह समझना चाहिए कि आधुनिक कला का प्रदर्शन सिर्फ हिन्दू देवी-देवताओं पर ही क्यों होता है? क्या कावडिय़ा में हिन्दू धर्म को छोड़कर किसी दूसरे धर्म के अराध्य और सम्मानित बुजुर्ग पर टॉयलेट का निर्माण करने की हिम्मत है? भाजपा स्वयं को भारतीय संस्कृतिक के अनुरूप चलने वाली पार्टी कहती है, देखना है कि इस मामले में राज्य और केन्द्र की भाजपा सरकार क्या रुख अपनाती है। वाक्या तो बेहद ही शर्मनाक है। जिस गणेश को करोड़ों लोग सबसे पहले पूजते हैं, उस गणेश को आधुनिक कला के नाम पर पेशाब घर में ले जाकर खड़ा कर दिया गया। (एस.पी.मित्तल)

photo sent by Sumeet Kalsey

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