विक्रम और बेताल

(चेतावनी :प्रस्तुत लेख में वर्णित पात्र काल्पनिक है वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है )

sohanpal singh
sohanpal singh
आप में से बहुत से लोगों ने अपने बचपन में ” बेताल पच्चीसी” यानि “विक्रम और बेताल” की पच्चीस कहानियां खूब सुनी होंगी और सुनाई भी होंगी की किस प्रकार से न्याय के लिए प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के कल्याण के लिए नर पिशाच बेताल के शव को उसकी ही शर्त के। अनुसार अकेले ही अपने कंधे पर लाद कर शमसान की ओर चलते हैं., परंतु धूर्त बेताल विक्रम को बातो के जाल में ऐसा फंसाता है कि विक्रम को मजबूर होकर जवाब देना ही पड़ता है और फिर शर्त के . पिशाच का शव विक्रम के कंधे से उत्तर कर पेड़ पर उल्टा लटक जाता है! क्योंकि बेताल की शर्त यह थी कि जब बेताल विक्रम के कंधे पर लाद कर चल रहा होगा तो वह बोलेगा नहीं और अगर विक्रम बोलेगा तो बेताल फिर से पेड़ पर उल्टा लटक जाएगा !

पिशाच (बेताल) की कहानियों में बेताल, पच्चीस कहानियां सुनाता है, जिसमें राजा बेताल को बंदी बनाना चाहता है और वह राजा को उलझन पैदा करने वाली कहानियां सुनाता है और उनका अंत राजा के समक्ष एक प्रश्न रखते हुए करता है। वस्तुतः पहले एक साधु, राजा से विनती करते हैं कि वे बेताल से बिना कोई शब्द बोले उसे उनके पास ले आएं, नहीं तो बेताल उड़ कर वापस अपनी जगह चला जाएगा. राजा केवल उस स्थिति में ही चुप रह सकते थे, जब वे उत्तर न जानते हों, अन्यथा राजा का सिर फट जाता. दुर्भाग्यवश, राजा को पता चलता है कि वे उसके सारे सवालों का जवाब जानते हैं; इसीलिए विक्रमादित्य को उलझन में डालने वाले अंतिम सवाल तक, बेताल को पकड़ने और फिर उसके छूट जाने का सिलसिला चौबीस बार चलता है। इन कहानियों का एक रूपांतरणकथा-सरित्सागर में देखा जा सकता है।

लेकिन हम बात कर रहे हैं आधुनिक विक्रम और बेताल की यानिकि विक्रमादित्य के रूप में प्रधान मंत्री और बेताल के रूप में 60 महीने की सत्ता ? अब तक इस यात्रा में 60 महीने में से 17 महीने बीत चुके हैं ! परंतु बेताल ने अब तक जो कहानी विक्रम को सुनाईं है वे इस प्रकार हैं :-

(1) बेताल बोला राजन ! मैं जानता हूँ तुम अपनी धुन के बहुत पक्के हो जिस काम को ठान लेते हो उसे अवश्य पूरा करते हो ! लेकिन तुम्हे क्या हो गया था जब 26 मई 2014 को तुमने अपने शपथ ग्रहण से पहले ही प्रधान मंत्री की हैसियत से शार्क देशों के शासकों को निमंत्रण भेजे थे और वे शासनाध्यक्ष तुम्हारे सपथ ग्रहण में शामिल हुए भी थे लेकिन ऐसा क्या है हुआ की वे सब आज खुश भी नहीं हैं क्यों ? अब अगर तुमने मेेरे सवाल का जवाब नहीं दिया तो तुम्हारा मस्तष्क फट जायगा ! विक्रम कैसे चुप रह सकता था कि यह सब उसने जान बुझ कर ही किया था अपनी वाह वाही कराने के लिए लेकिन हुआ इसका उल्टा ! जैसे ही विक्रम ने कहा कि बेताल तुम यह न समझना की मुझे इसका इल्म नहीं था लेकिन मेरी इस कमजोरी ने मुझे मजबूर कर दिया था कि मैं सबकुछ अपने हिसाब से सही कर सकता हूँ ! यह विदेश संबंधों की मेरी पहली भूल थी? इतना सुनते ही बेताल अपनी शर्त के अनुसार विक्रम के कंधे से उत्तर कर पेड़ पर लटक गया ?

(2) विक्रम ने बेताल के शव को पेड़ से उतरा और अपने सफ़र पर चल दिया? बेताल कहाँ चुप रहने वाला था ! अँधेरी रात जंगल का रास्ता तेज आंधी ऊपर से बारिस ! और भूकंप से धरती डोल रही थी ! बेताल बोला राजन अब मैं अधिक देर तक चुप नहीं रह सकतातुम्हारी निस्वार्थ सेवा देख कर मैं आश्चर्यचकित हूँ ! इसी प्रकार से तुमने अपने पडोसी नेपाल की उस समय दिल खोल कर सहायता की थी जब भूकंप से वहां का जीवन अस्त व्यस्त हो गया था ? लेकिन उससे भी अधिक चकित करने वाली बात तब हुई जब नेपाल ने सहायता कार्य पूर्ण हुए बगैर ही भारतीय सहायत दाल को नेपाल से चले जाने के लिए कहा? उसकेबाद भी अपनी घरेलु समस्या से जूझ रहे नेपाल ने धमकी दे ही दी कि वह भारत के बजाय चीन से सहायता लें लेगा ? राजन यह कैसा विरोधसभास है ? क्या यह तुम्हारी कूटनीति की असफलता है याचीन की कूटनीति की सफलता है ? अगर तुमने जानबूझ कर जवाब नहीं दिया तो तुम्हारा मष्तिष्क फट जायेगा और अगर तुम बोले तो मैं ये चला ! अभी विक्रम ने इतना ही बोला था “हाँ” और बेताल विलुप्त होगया ?

(3) बहुत मुश्किल से किसी तरह बेताल को पेड़ से उतार कर विक्रम ने अपने कंधे पर उठाया और आगे की ओर चल दिया : धूर्त बेताल ने अपनी आदत के अनुसार कहना आरम्भ किया ” राजन मैं जानता हूँ कि तुम मुझे मंजिल तक पहुंचाए बिना नहीं मानोगे इस लिए मैं तुम्हे एक औए कहानी सुनाता हूँ जिससे तुम्हारा रास्ता कट जाय – राजन तुम्हारा ड्रीम प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने के लिए इतने उतावले क्यों थे जबकि संसद और देशके किसान तुम्हारा साथ नहीं दे रहे हैं और दो बार अध्यादेश लाने के बाद भी भूमि अधिग्रहण कानून नहीं बन पाया ? क्या यह तुम्हारी सरकार की असफलता या तुम्हारी स्वयं की अतिमहत्वाकांक्षा का ही नतीजा था की तुम एक प्रगति के प्रतीकात्मक क़ानून को नहीं बना सके यह ऐसे ही हुआ नौ दिन चले अढ़ाई कोस ? विक्रम ने जैसे ही कहा की न तो यह मेरी अज्ञानता थी और न सरकार की असफलता ! यह केवल और केवल विपक्ष द्वारा फैलाया गया भ्रम था ? विक्रम के बोलते ही बेताल अपनी शर्त के अनुसार हवा में विलीन होकर फिर से पेड़ पर उल्टा लटक गया!

(4) विक्रम भी कहाँ मानने वाला था उसने फिर से बेताल को पेड़ से उतारा और उसको कंधे पर लाद कर से फिर चल दिया ! बेताल तो अपने धूर्तता से कहाँ मानने वाला था उसने फिर से नै कहानी आरम्भ कर दी और बोला राजन यह शरद् रात और लंबा रास्ता इस लिए मैं तुम्हे एक किस्सा सुनाता हूँ और अगर तुम बीच में बोले या जानबूझ कर जवाब नहीं दिया तो तुम्हारा मष्तिष्क फट जायेगा! तुमने शपथ लेने पहले ही यह ऐलान कर दिया था की विदेशो में जमा काला धन वापस लाया जायेगा तथा प्रत्येक भारतीय के हिस्से में 15 लाख रुपया आएगा न तो काला धन वापस आया और न किसी को 15 लाख रुपये ही मिले ? तुम्हारी काले धन को घोषित करने वाली स्किम भी फेल हो गई है क्योंकि कुल जमा 4100 करोड़ रुपये का काला धन घोषित किया गया और इसी बीच में तुम्हारी ही नाक के नीचे से 6100 करोड़ रुपया बैंक से। सांठ गाँठ करके विदेश में भेज दिया गया ? काले धन के विषय में तुम्हारा दृष्टिकोण बदल गया है या इस पर काबू पाना तुम्हारे भी बस में नहीं है ? विक्रम ने जैसे ही यह कहा की नहीं ऐसी बात नहीं है यह एक पेचोदा मामला है मेरे मंत्री इस पर कार्य कर रहे हैं ? फिर भी अगर कालाधन वापस भी आया तो हम किसी को भी 15 लाख तो अलग 1500 रुपया भी नहि दे सकते ? इतना सुनते ही बेताल फिर से अंतर्ध्यान हो गया !

(5) विक्रम ने फिर से प्रयास करके किसी तरह पिशाच के शव को पेड़ से उतार कर अपने कंधे पर लादा और शमसान की ओर चल दिया ! तो बेताल अपनी बदमासी से कहाँ बाज आने वाला था उसने फिर से कहा राजन तुम अपनी जिद के बहुत पक्के हो इसलिए की तुम्हे थकान न हो मैं तुम्हारी एक कमी बताता हूँ ध्यान से सुनो ! सत्ता सम्हालने से पहले अल्पसंख्यकों के मन में तुम्हारे प्रति भय और अविश्वास का वातावरण था जिसे तुमने भरसक कम करने का प्रयास किया और तुम कामयाब भी रहे लेकिन तुम्हारे अपने ही सिपाह सालार अल्पसंख्यकों के मन में डर और भय का वातावरण ही नहीं अपितु गऊ हत्या के झूंठे आरोप लगा कर जान से भी मरवा रहे हैं ! जबकि तुम्हारे ही शासन कालमें पिछले वर्षो के मुकाबले गोवंश के मांस का निर्यात विश्व के सभी देशो से अधिक किया गया है ! राजन खूब सोंच समझकर जवाब देना क्योंकि तुम्हारे अपने ही परिवार के लोग गऊ हत्या का विरोध करते है लेकिन उन्हें गौ मांस के निर्यात से कोई गुरेज नहीं है ! ऐसा क्यों है? अब विक्रम को चुप रहना कैसे सहन हो सकता था जबकि आरोप सीधे परिवार पर लग रहा था! विक्रम बोला ऐसा नहीं है अल्पसंख्यकों के मन में विपक्ष के लोग। भ्रामक प्रचार करने कारण भय का वातावरण बना है ! जहाँ तक गौ मांस के निर्यात की बात है तो यह बहुत पहले से चल रहा है जिससे बहुमूल्य विदेसी मुद्रा मिलती है ! फिर भी हम इस पर रोक लगाएंगे ? विक्रम के बोलते ही बेताल अपनी शर्त के अनुसार हवा में विलीन होकर फिर से पेड़ पर उल्टा लटक गया!

(6) विक्रम भी कब हार मानने वाला था सवाल था सत्ता रूपी बेताल को कंधे पर लादा ? विक्रम ने पिशाच को पेड़ से उतार और फिर चल दिया आगे के सफ़र पर ! बेताल भी कब चुप रहने वाला था और विक्रम से बोला राजन अब बार बार अपनी शर्तों का क्या बताना ! तुम्हे थकान न हो में एक और किस्सा सुनाता हूँ ! किस्सा ये है की सत्ता प्राप्त करने से पहले और बाद में भी तुम हमेशा कहते हो की भ्रष्टाचार के प्रति तुम्हारी जीरो टालरेंस है ? लेकिन व्यवहार में ऐसा कुछ भी नहीं है भले ही अभी तुम्हारे 18 माह के शासन कल की समीक्षा किसी सक्षम एजेंसी ने नहीं की है परंतु फिर भी तुम्हारे अपने कई मंत्री और संत्री भ्रष्टाचार की कोठरी तक पहुँच चुके है ? लेकिन तुम्हारे संरक्षण के कारन बचे हुए हैं ? राजन तुम्हारी प्रतिज्ञा की ‘ना तो खाऊंगा और ना खाने दूंगा! “कहाँ चली गई जनता कह रही है भले राजा नहीं खाता है परंतु बाकी तो खा रहे है ? बिलकुल गलत तैश में आकर विक्रम ने कहा यह सब भी विरोधी लोगो का प्रचार है ? अब बेताल कहाँ रुकने वाला था वह फिर। गायब हो गया ?

(7) मुश्किल से किसी तरह बेताल को पेड़ से उतार कर विक्रम ने अपने कंधे पर उठाया और आगे की ओर चल दिया : धूर्त बेताल ने अपनी आदत के अनुसार कहना आरम्भ किया राजन मुझे तुम्हारी सराहना करनी चाहिए या आलोचना यह इस बात पर निर्भर है की तुम जायब क्या देते हो ? क्योंकि तुमने स्वयं जनता के सामने यह स्वीकार किया है की तुम एक चाय बेचने वाले के बेटे हो और तुम्हारी माता जी लोगों के घरों काम किया करती थी ? और स्वयं अधिक पढ़े लिखे भी नहीं हो ? एसी स्वीकारोक्ति कोई महान व्यक्ति ही कर सकता है ! इस लिए राजन मैं समझता हूँ की या तो तुम्हारे मंत्री गण तुम्हे गलत सलाह देते हैं या तुम्हारे अपने अल्पज्ञान के कारण बहुत से नीतिगत फैसलों में बहुत गलती होती है ! जैसे न्यायाधीशों के चयन में एक परम्परा के अनुसार स्वयं सर्वोच्च न्यायालय न्यस्याधीशों का चयन करके सरकार को अनुमोदन के लिए भेजता था लेकिन तुमने इस परम्परा को समाप्त कर दिया था और न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार का पूरा हस्तक्षेप का कानून ही बना दिया था परंतु जब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में गया तो वहां न्यायालय की 5 न्यायाधीशों संवैधानिक पीठ ने ने इस क़ानून को ही 4/1 के बहुमत अवैध घोषित कर दिया ? राजन यह सच सच बताओ की यह किसकी गलती है क्या अब न्यायपालिका और विधायिका के टकराव का दौर आरम्भ होगा या कुछ और ? नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा हम अध्यन कर रहे है हमारा कानून सही था और रहेगा मामला बड़ी पीठ के समक्ष जा सकता है ? विक्रम के बोलते ही
बेताल गयाब होकर फिर से पेड़ पर उल्टा लटक गया ?

(8) एकबार फिर से विक्रम ने सत्ता रूपी पिशाच को कंधे पर लादा और चल पड़ा ! बेताल भी कहाँ मानाने वाला था ! बेताल बोला राजन अभी जब तुम अमेरिका की यात्रा पर थे और वहां के उद्योगपतियों को मेकिंग इंडिया को सफल बनाने की बात कर रहे थे अचानक यहां भारत में सोमवार की रात को, दवाओं की कीमतों के नियामक, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सबको चौंका दिया. उसने उन 108 दवाओं को नियंत्रण से मुक्त कर दिया है, जिन्हें उसने दो महीने पहले ही ‘जनहित’ के आधार पर मूल्य नियंत्रण के तहत लिया था. उसने इसकी कोई वजह नहीं बतायी. सिर्फ इतना कहा कि भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रलय के औषधि विभाग से उसे ऐसा करने का आदेश मिला था. जिन 108 दवाओं को वापस नियंत्रण-मुक्त किया गया, वो दवाएं दिल की बीमारियों, हाइपरटेंशन, शुगर से जुड़ी हैं. इन दवाओं का बहुत सारे लोग नियमित इस्तेमाल करते हैं. यानी, मध्यवर्ग जिन दवाओं के सस्ती होने की उम्मीद लगाये बैठा था, सरकार ने उसे झटका दे दिया. दूसरी तरफ दवा कंपनियों की बल्ले-बल्ले हो गयी है ? राजन। क्या मेकिंग इंडिया की शुरुआत इसी प्रकार खतरनाक बीमारियों से ग्रस्त लोगो को महंगी दवाओं से वंचित करके उन्हें मौत की नींद सुला कर विदेशी लोगों को भारत में सुविधा दी जायगी ?

(9)बेताल मैं भी तुम्हे अंत तक पहुंचाए बिना चैन से नहीं बैठ सकता और फिर से बेताल को कंधे पर लाद कर विक्रम अपने लक्ष्य की ओर चल दिया ? बेताल ने भी बोलना आरम्भ किया राजन तुमने सत्ता सँभालते वक्त प्रजा से वायदा किया था की मैं आपका राजा नहीं आपका देवक हूँ ! और आपको कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा! । राजन ऐसा कहते है की जिस देश के तुम राजा हो उसकी 75 प्रतिशत आबादी गावँ मे रहती है जहाँ जन सुविधाओं का आभाव है ! लेकिन शहरों का उससे भी बुरा हाल है ? तुम्हारी स्वच्छ भारत अभियान की मुहीम केवल फोटो खिचवाने तक ही सिमित रह गई है ? क्योंकि योजना कस प्रचार जिस प्रकार से किया गया था उसके अनुरूप कोई भी कार्य योजना सरकार के पास नहीं है ? भारत का प्रत्येक नागरिकसफाई को पसंद करता है और महिलाओं का दिन का सबसे पहला काम है घर की सफाई से ही आरम्भ होता है ? राजन क्या कभी तुमने ध्यान् दिया है कि इतना सब कुछ होते हुए भी सफाइ दिखती क्यों नहीं? कारन भी मैं ही बताता हूँ ! जो भी। कूड़ा कचरा घरों या फैक्ट्रियों से निकलता है उसका निस्तारण सहि तरिके से नहीं किया जाता है ? हाँ बेताल इस बात को तो मैं भी जनता हूँ पर क्या करूँ मैं अपनी आदत से मजबूर जो हूँ ? वैसे भी सफाई का कार्य स्थानीय निकायों का या राज्य सरकारों का ही है ? विक्रम के बोल सुन कर बेताल एक बार फिर से अंतर्ध्यान हो गया?

(10) अब यह तो विक्रम का भी नियमित सा कार्य हो गया की वह पेड़ से शव को उतारता और फिर श्मसान की ओर चल देता ? बेताल बोला राजन मैं तुम्हारे इस निस्वार्थ कार्य से बहुत प्रभावित हूँ तथा संतुष्ट भी हूँ पर मुझे ऐसा क्यों लगता है की पूरा देश तुम्हारी अधिक सक्रियता से संतुष्ट नहीं है उसका कारन भी है ? राजन तूमने सत्ता सँभालने से पहले ही यह कहा था क़ि अगर तुम्हे सेवा करने का अवसर मिलेगा तो तुम पुरे देश में व्याप्त महंगाई को सौ दिनों में काबू में कर लेंगे औए सभी देशवासियों को उचित दर पर खाने पिने का सामान मिलेगा? लेकिन इन 17 महीने में महंगाई कम तो नहीं हुयी गरीब की थाली से प्याज और टमाटर जैसी सब्जी गायब हो गई ? और अब तो गरीब ही नहीं खाते पीते लोगों की थाली से दाल भी गायब हो चुकी है उधर तुम्हारी सरकार बने हुए 500 दिन से अधिक हो चुके हैं ? विक्रम बोला बेताल वैसे तो यह राज्य का विषय है की वह सब राज्य अपने प्रदर्शों में कीमतों पर नियंत्रण रखे और सप्लाई को सुनिश्चित करे? बस राजन मैं समझ गया बोल तो सकते हो पर तुम्हारे पास किसी भी बात का उत्तर नहीं है ! इस लिए मैं तो चला ।

(11) विक्रम ने फिर से बेताल को ढूंढ निकाला और पूर्व की भांति कंधे पर लादा और चल दिया अपनी मंजिल की ओर ? तो बेताल कब चुप रहने वाला था बेताल बोला राजन जब अपने प्रण से तुम डिग नहीं रहे हो तो फिर तुम रात दिन मेहनत करके अपने देश को दुनिया में प्रथम स्थान पर पहुँचाना चाहते हो तो तुम मुझे एक अर्थ शास्त्र का नियम बताओ की जब कच्चे तेल (क्रूड आयल)की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 160 डॉलर का एक बैरल मिल रहा था तब हमारे देश में पेट्रोल की कीमत 70 रुपये प्रति लीटर थी लेकिन अब तुम्हारे राज्य में जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल केवल 50 डॉलर प्रति बैरल का मिल रहा तब भी पेट्रोल की कीमत 60-70 रुपये प्रतिलीटर है ऐसा क्यों है ? क्या सरकार भी किसी व्यापारी की भांति मुनाफा कमाती है ! अगर ऐसा है तो घोर अपराध है क्योंकि तुम्हारे ही देश के महान अर्थशास्त्री और कूटनीति के विचारक चाणक्य ने कहा है कि जिस देश का राजा व्यापर करने लगेगा उस देश का। सर्वनाश होने से भगवान भी नहीं रोक सकता ? बेताल की बात सुन कर विक्रम बहुत बैचैन हो गया लेकिन अगर उत्तर नहीं दिया तो शारीरिक नुक्सान और अगर उत्तर दिया तो बेताल रफूचक्कर हो जायेगा फिर भी विक्रम ने कहा! बेताल बात ऐसे नहीं है तेल कंपनियों को पहले ही बहुत घाटा हो चूका है इस लिए कंपनिया जब भी अपना घाटा पूरा कर लेंगी पेट्रो पदार्थो के दाम कम हो जायेंगे ? फिर तो बेताल कहाँ रुकने वाला था वह् भी उड़ कर पेड़ पर जा बैठ ?

(12) विक्रम फिर से बेताल को पेड़ से उतार कर निचे लाया और कंधे पर लाद कर हमेशा की भांति अपनी मंजिल की ओर चल दिया ! राजन तुमने और तुम्हारे खजाने के मंत्री ने यह ऐलान किया है कि अगले साल एक अप्रैल से वस्तु एवं सेवा कर लागू करना है ? जाकी इसको लागू करने के लिए कोई भी तैयारी अभी नहीं हुयी है और बहुत सर राज्य भी इसके लागु करने से बिदक रहे हैं क्योंकि पहले वह अपने राज्यों का हित सुरक्षित करना चाहते है राजस्व की हिस्सेदारी में ? अब विक्रम को यह कैसे सहनं होता की उसकी सबसे महत्वकांक्षी योजना को लागू करने में देर हो ? इस लिए विक्रम तुरंत बोला अरे बेताल , यह जी एस टी योजना हर हालात में 1 अप्रैल से ही लागु होगी तुम्हे या कीसी और को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए ? अब बारी बेताल की थी वह भी अपने वचन के अनुसार जाकर ही पेड़ पर लटक गया !

(13) बार बार उसी क्रम में विक्रम ने पिशाच के शव बेताल को पेड़ से निचे उतारा और कंधे पर लाद कर शमसान की ओर चल दिया ? राजन मैं तुम्हारी कार्य के प्रति लगन और पक्के इरादे का प्रसंसक बन गया हूँ ? लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि तुम्हे कुछ भूलने की भी आदत है या अपनी आदत के अनुसार तुम जनता को बरगलाते हो ! बेताल बोला ! इस लिए मैं तुम्हे तुम्हारा वह कारनामा बताता हूँ जिसमे तुमने जनता को कहा की देश में बुलेट ट्रेन चलना तुम्हारा सपना है और जनता भी। तुम्हारे उसी सपने में खो गई और तुम भी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को भूल ग्ए हो ? वैसे भूलना। ही अच्छा है क्योंकि जिस देश में ट्रेन की औसत चाल ही 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की हो उस इंफ्रास्टक्चर पर 300 – 350 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से किस प्रकार बुलेट ट्रेन चल सकती है ! अरे बेताल ! अब तो लगता है कि तुम भी किसी विपक्षी पार्टी के एजेंट बन गए हो ? विक्रम के ऐसा बोलने पर , बेताल बोला लो राजन आपने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ी अब मैं चला अपने ठिकाने की ओर !

(14) विक्रम भी ने भी फिर से अपनी कमर कसी और पिशाच को पेड़ से उतार कर अपने कंधे पर लादा और चल दिया अपनी मंजिल की ओर! अब तो बेताल को भी विक्रम के कंधे पर सफर करने में आनद आने लगा था ! अतः बेताल बोला राजन मैं तुम्हारा भक्त हो गया हूँ तुमने तो वास्तव में गरीब जनता के लिए बैंको में (0)बैलेंस पर खाते खुलवाकर एक सराहनीय कार्य किया है और सोने पे दुहागा तो तब हुआ जब इसी बैंक खाते से जीवन बिमा औए सधारण बीमा भी आरम्भ किया गया ! लेकिन राजन क्या तुमने कभी यह आकलन किया है कि तुम्हारे इस महत्वाकांक्षी परियोजना का अगर लोक लुभावन पक्ष छोड़ दिया। जाय तो इसके दुष्परिणामो क्या हैं ? मैं तुम्हे यह बताता हूँ ! पहला तो यह जीरो बैलेंस के खतों के कारण। बैंको में कार्य अधिक हो गया है लॉकिंन बैंको की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुयी है? बैंक कर्मी परेशान है ! पूंजी का प्रवाह गाँवों से शहरों की ओर हो गया है? जो एक खतरनाक। स्थिति है। नहीं बेताल ! तुम्हारा सोचना गलत है ! यह योजना गरीब और पिछड़ों के लिये ही है और बहुत हितकारी है ! तो राजन मैं तो चला ! ऐसा कह कर बेताल ग़ायब हो गया !

(15) विक्रम ने पिशाच के शव को पेड़ उतार और अपनी मंजिल की ओर चल दिया । लेकिन बेताल भी बहुत ही ढीट प्रकृति का होने के कारण विक्रम के मिशन को पूरा होने में रुकावट डालने प्रयत्न करता ही रहता है ! इस लिए बोला राजन! अब लगता है तुम बहुत थक गए हो , तुम्हारी थकान कम हो इसलिये में तुम्हे , तुम्हारे राज्य में तुम्हारे ही परिवार के द्वारा हो रही असहिष्णुता की बात बताता हूँ । एक तो तुम्हारा परिवार ही इतना बड़ा और संघठित है की उसकी गिनती कंरना ही मुश्किल है ? फिर भी तुम्हारे संविधान के अनुसार इस देश में। सभी धर्मों के लोगो को निवास करने अपनी जीविका कमाने और समानता और धर्म के पालन का अधिकार है ? लेकिन देखने में ऐसा आता है की तुम्हारे परिवार के लोग एक खास वर्ग के लोगों के खान पान और धार्म पालन की प्रक्रिया में बाधा पहुचाने में सबसे आगे राहते हैं इसका कारण क्या है ?. बेताल तुम्हारा यह कहना सही है कि मेरा परिवार बहुत बड़ा है जिसका मुझे गर्व है!.क्योंकि मेरा परिवार देस भक्तो का संघठन है !हाँ कभी कभी कुछ दुर्भाग्य से कोई एक दो घटनाएं हो जाती है ! बेताल मेरा तो नारा ही सब का साथ सब विकास है ? विक्रम के बोलते ही बेताल फिर से पेड़ पर जा बैठा!

(16) विक्रम ने पेड़ से पिशाच के शव को उतारा और चल दिया ! विक्रम तेजी से चल रहा था !लेकिन बेताल का दिमाग भी उसी तेजी से चल रहा था ! बेताल बोला राजन ! इस बात में कितनी सच्चाई हैकि तुम झूंठ नहीं बोलते लेकिन देखने में आता है की तुम सच भी नहीं बोलते ! जैसे की तुम सनातन धर्म की मर्यादाओं के अनुसार एक विवाहित पुरुष हो इस सच्चाई को तुमने मार्च 2014 से पहले कभी स्वीकार नहीं किया , क्यों ? इस में तुम्हारा क्या स्वार्थ था ? इससे यह भी जाहिर होता है की स्त्रियों के प्रति तुम्हारे दिल में कोई सम्मान हैही नहीं ! उस गरीब जसोदा बेन चिम्मनलाल नामक स्त्री का क्या कसूर था जिसे तुम्हारे कारण एक विवाहित महिला होने के बाद भी वैवाहिक सुखो से जीवन भर वंचित रहना पड़ा ! इससे यह भी ज़ाहिर होता है की जिस संस्था के तुम स्वयं सेवक हो उसके सदस्य होने के लिए अविवाहित होना अनिवार्य हो ? हूँ कह कर विक्रम चुप हो गया तो बेताल ने कहा राजन तुम्हारे पास इसका जवाब नहीं है परंतु तुम हो बहुत होशियार की केवल “हूँ” कहकर तुमने। अपना मौन तोडा था इसलिए मैं तो चला ?

(17) बेताल विक्रम के पराक्रम से किस प्रकार से बच सकता था, विक्रम ने उसे पेड़ उतारा और कंधे पर लाद कर चल दिया ! बेताल बोला राजन मैं तुम्हारी लगन और मेहनत से बहुत प्रभावित हूँ , इस लिए इस तूफानी रात में तुम्हे अधिक थकान न हो मैं तुम्हे तुम्हारे ही मंत्रियों के अहंकार के किस्से सुनाता हूँ ! तुम्हारे ही पदचिन्हों पर चलते हुए एक सहयोगी मंत्री ने दलित परिवार के बच्चों को जला कर मर देने की घटना को , कुत्ते को पत्थर मारने के बराबर। की है ! जबकि तुमने स्वयं मुस्लिमो के मारे जाने की तुलना कुत्ते के पिल्लै से की थी ! तुम्हारा यह मंत्री कभी पत्र कारों को वैश्या बताता है , कुछ न कुछ बोलता ही रहता है ? तुम्हारा गृह राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश के लोगो की तुलना क़ानून तोड़ने वालों से करता है ! एक मुख्य मंत्री बीफ खाने वालों पकिस्तान जाने सलाह देता है कोई हिन्दू राष्ट्र की बात करता है !आखिर तुम्हारे मंत्रियों और तुम्हे इतना अहंकार क्यों है ? फिर जब कीसी भी राज्य में कोई सामाजिक या आर्थिक या कानून व्यस्था की समस्या खड़ी होती है तो केंद्र किस प्रकार से अपने आप को अलग कर सकता है ! राजन वे जमाने अब भारत से बहुत दूर जा चुके हैं जब तलवारों के बाल पर राज्यों को जित कर कोई उस राज्य पर हकुमात करता था और नागरिकों को गुलाम समझता था । आज लोकमत लोकतंत्र का राज्य है जहां जनता अपना राजा स्वयं चुनती है केवल 5 वर्ष के लिए ? तुम्हे और तुम्हारे साथियों को भी 5 वार्ड के लिए ही चुना है ? यह बात और है कि तकनिकी रूप में तुम्हे पूर्ण बहुमत मिला है लेकिन उसका वास्तविक स्वरुप भी तुम्हे देख लेना चाहिए की कुल मतदाताओं का केवल 31 प्रतिशत मत ही तुम्हे मिला है और 31 प्रतिशत नंबर पाये बच्चे को स्कूल पास भी नहीं करता है? तुम्हे तो केवल 60 माह के लिए ही शासन करने का अधिकार मिला है फिर इतना अहंकार किस लिए है ? विक्रम बोला हा बेताल ऐसा लगता है कि हाल ही में स्वर्ग सिधारे किसी विपक्षी नेता की। आत्मा ने तुम्हारे अंदर प्रवेश कर लिया है इसी लिए तुम्हारी वाणी और अभिव्यक्ति में आलोचना झलकती है ? तो राजन ठीक है यह तो तुम्हारे 17 महीने का लेख जोखा था ! चूँकि तुमने अबतक के जवाब घुमाफिरा के दिए है ! इसलिए मैं तो अपनी शर्त के अनुसार अब जा रहा हूँ ?
SPSingh Meerut

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