बदनसीब बादशाह

sohanpal singh
sohanpal singh
कितना बदनसीब है ज़फर की मारने के बाद भी देश की धरती पर दो गज जमीन भी न मिली ! 1857 की क्रांति के योद्धा सेनापति दिल्ली की गद्दी लाल किले से शासन करने वाले बादशाह बहुदर शाह जफ़र को अंग्रेजों ने गिरफ्तार करके रंगून की जेल में रखा और वहीँ उनकी मृत्यु हो गई ? चूँकि बादशाह होते हुए भी वह एक शायर थे तब इन्होंने मरते समय एक शेयर कहा था “कितना बदनसीब है जफ़र की दो गज जमीं न मिल सकी कुआये यार में ”

हम बात कर रहे हैं लत पस्त रिटायर्ड राजनितिक लोगो की जिनके बस का चुनाव लड़ना और जीतना बहुत मुश्किल होता है ऐसे लोगों को केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टियां राज्यपाल बना कर राजभवनों में सुशोभित कर देती हैं कुछ सज्जन प्रकार के लोग तो राज्यसरकार के साथ समन्वय करके अपना समय सफलता पूर्वक बिता लेते है हैं जब की कुछ महत्वाकांक्षी योद्धा किस्म के लोग राज्य सरकारो को चैन से काम नहीं करने देते ? इसी श्रेणी में हमारे प्रदेश के माहमहिम भी आते है ! सक्रीय राजनीति में रहते हुए उन्होंने जब लोकप्रिय अभिनेता गोविंदा से मात खाई तो उन्होंने राजनीती से संन्यास की घोषणा कर दी ! लेकिन 2014 में सत्ता में वापस आई पार्टी ने उन्हें राज्यपाल बना कर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में पदस्थापित कर दिया ! चूँकि उनकी प्रतिबद्धता अपने। पितृ संघटन से अधिक है इसलिए वह सक्रीय राजनीती से संन्यास की घोषणा के बाद भी अपने को निर्विकार नहीं कर पाये ! उ.प्र की सत्तारूढ़ पार्टी जब तब उन पर आरोप प्रत्यारोप लगाती रहती है ? चूँकि अपने पितृ संघठन से जुड़ाव का आज भी उन्हें गर्व होता है और कारन से उनके कार्य कलापों से अपने लिबास धोती या पायजामे के निचे से खाकी निक्कर जब तब नजर आ ही जाती है जो सत्तारूढ़ पार्टी से विवादों का कारन बनती है!

चूँकि राज्यपाल का पद एक संवैधानिक गरिमापूर्ण पद है और इस पद को सुशोभित करने वाले लोगों को भी पद की मर्यादा का ध्यान भी रखना चाहिए इसलिए केंद्र की सरकार को सरकारिया कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र में सत्तारूढ़ दल के लोगों को दूसरे दलों की सत्तारूढ़ पार्टी के राज्यों में पदस्थापित नहीं करना चाहिए ! चूँकि उनका मन बहादुर शाह जफ़र के सामान अपने प्रदेश के सक्रिय राजनीती मंच दूर होने पर तड़पता रहता है ?

SPSingh. Meerut

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