कुछ एक वर्ग का असहिष्णुता के खिलाफ जो विरोध बार बार निकल कर आ रहा है ! उस पर तुरंत बहस आरम्भ हो जाती है ! लेकिन अगर विरोध के कारणों की जांच करे तो सबसे पहले एक बात याद रखनी चाहिए की मोदी सरकार को भारत में सरकार चलाने के लिए बहुत तो है लेकिन देस की बहुसंख्य जनता इस सरकार को पसंद नहीं करती है सबसे बड़ा कारण भी यही है क्योंकि 125 करोड़ की भारत की जनता ने बीजेपी को केवल 31 प्रतिशत ने ही वोट दिया था इसलिए अगर आंकड़ो में देखे तो कुल 387500000, लोगों ने ही पसंद किया है और 8725 00 000, लोग मोदी सरकार को पसंद नहीं करते ? क्योंकि भारत में चुनाव जीतना और बहुमत हासिल करना अनुपातिक नियम से नहीं होता है केवल अधिक से अधिक किसी पार्टी के मेंबर की। जीत पर निर्भर करता है वोट शेयरिंग का अनुपात कोई मायने नहीं रखता है केवल अधिक वोट पाना ही जीत का माध्यम होता है ? अतः जिस देश में बहु संख्या में जनता सरकार के विरुद्ध हो तो विरोध के स्वर भी अधिक होंगे ?
इस्लियेजाब सरकार के प्रतिनिधि किसी समुदाय या जाती को लक्ष्य करके रहन सहन और खाने पीने पर अंकुश लगाने की जब तब धमकी के रूप में चेतावनी देते है तो प्रतिक्रिया तो होगी ही? दूसरी ओर विपक्ष सरकार के प्रति सरकार जो आलोचना करती है वह दुराग्रह पूर्ण प्रतीत ही नहीं होती अपितु अवांछनीय भी है ? क्योंकि सरकार चलना सरकार के कुशल प्रबंधन पर निर्भर करता है ? विपक्ष का काम ही सरकार के प्रति अपने विरोध से सावधान करना होता है ? क्योंकि विपक्ष भी देश की जनता की आवाज है वे भी चुने हुए प्रतिनिधि ही है ? इसलिये तकनीकी रूप से भले ही विपक्ष को प्रतिपक्ष का नेता बना कर सरकारी सुविधा नहीं दी जा सकती लेकिन विपक्ष उचित सम्मान का हक़दार तो है ही ? उसे यह कह कर अपमानित नहीं किया जा सकता की कि “जनता ने आपको नकार दिया” है, जनता ने अगर नकार दिया होता तो वह सदन तक पहुँच ही नहीं सकते थे ? चूँकि सरकार बहुमत की संख्या पर बनती है तो जिसके पास बगुमत है उसे सरकार बनाने और चलाने का जहाँ पूर्ण हक़ वहीं विपक्ष को जनता का प्रतिनिधित्व होने के नाते अपनी बात कहने का हक़ है? अगर ऐसा न होता तो भूमि अधिग्रहण बिल कब का पास होगया होता और किसानो की आत्महत्या का सिलसिला अभी तक जारी रहता ?
वैसे भी जब सरकार का मुखिया ही कुछ घमंडी सा दीखता हो तो सरकार और पार्टी पर उसका ही प्रतिबिम्ब दीखता है इसलिए जब सरकार के प्रतिनिधि बन कर मंत्री, नेता, सांसद, मुख्यमंत्री उलटे सीधे बयान देते हो तो प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक ही हैऔर हो भी रही है ! लेकिन प्रधान मंत्री विदेश में हो रही घटनाओं पर तो बयान देतें है लेकिन देश में नहीं बोलते जिस कारण जिस कारण ध्रुवीकरण का माहोल अपने आप बन जाता है जो बीजेपी को फायदा पहुंचता है ! अब ये तो वही हुआ आ बैल मुझे मार ?
एस पी सिंह। मेरठ