sohanpal singhऐसा विरोधाभास आखिर क्यों है प्रधान मंत्री और गृह मंत्री के बयानों में क्या यह किसी रणनीति के अंतर्गत है या कहीं सामंजस्य की कमी है ? जब गृह मंत्री संसद में बोल रहे थे तो उनका कहना था की संविधान के प्रियम्बल में सेक्युलर शब्द 1976 में गलत जोड़ा गया है और उसका हिंदी अनुवाद का अर्थ भी गलत निकाला गया है ? सेक्युलर का हिंदी अर्थ धर्म निरपेक्ष नहीं अपितु पंथ निरपेक्ष होना चाहिए और उन्होंने कांग्रेसियों की ओर देखते हुए कहा की ये लोग इसकी गलत व्याख्या करते हैं ? वहीँ दूसरी ओर प्रधान मंत्री अपने भाषण में बोलते हुए कहा की किसी के भी द्वारा संविधान में बदलाव के लिए भी सोचेगा तो वह आत्महत्या की सोच रहा है !?