नाच ना आवे आँगन टेढ़ा

sohanpal singh
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इस बात सें किसी को शक नहीं करना चाहिए कि क्रेन्द्र की सरकार सहिष्णु नहीं है ? अगर सरकार सहिष्णु न हो तो एक दिन भी शासन नहीं कर सकती ! लेकिन पार्टी और उसके कार्य कर्ताओं को जो कार्य दिया जाता है वह उसको करने के लिए अभिव्यक्ति की आजादी के नाम से ध्रुवीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते है ! चाहे वह दादरी कांड हो । शामली कांड हो या इसी प्रकार के कोई भी समाज को बांटने वाले मुद्दे? इसलिए सहिष्णुता और असहिष्णुता का झुनझुना बजता ही रहेगा क्योंकि यह पक्ष और विपक्ष दोनों को सुहाता है ?

लेकिन अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए जब संसद को विचार विमर्श के स्थान पर अपनी अपनी ताकत दिखाने का अखाडा बनाया जायेगा तो जनता जो समझेगी उसका जवाब तो चुनाव में ही दिया जायेगा ? यह तो अच्छा है की संसद की कार्यवाही टी वी पर दिखाई जाने से जनता को बहुत कुछ समझने का अवसर मिलता है ? इसी कड़ी में बीजेपी की एक सांसद मीनाक्षी लेखी जो पेशे से वकील भी है अपने भाषण में कह रही थी कि अगर दिल्ली स्तिथ केरला हाउस में बीफ परोसे जाने पर कारवाही नहीं की होती तो दिल्ली में भी दादरी जैसा काण्ड हो सकता था ? यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि पुलिस को सुचना देने वाला व्यक्ति भी हिन्दू संघटनो का ही सदस्य था ! इस लिए सुश्री लेखी का बयान एक धमकी के सामान ही है ! क्या लेखी जी बताएंगी की वे लोग कौन हो सकते थे जो दादरी जैसा कांड कर सकते थे । अतः लेखी के बयान की निंदा की जानीै चाहिए ? क्योंकि देश का संविधान कहता है की जनता की सुरक्षा का दायित्व सरकार का काम है ?
चूँकि पक्ष विपक्ष दोनों ही अपनी अपनी जित के लिए ध्रुवीकरण करना उचित समझते है तो इस कारण ये खेल चलता रहेगा ! चूँकि सहिष्णुता को मापने का कोई बेरोमीटर नहीं है इस लिए इस बात का फैसला संसद तो कर ही नहीं सकती ? संसद केवल भड़ास निकालने का एक मंच जरूर दे सकती है ? वैसे भी संसद में हो रही बहस की गंभीरता का इस बात से पता चलता हसि की विपक्ष की नेता अपनी बिमारी का इलाज कराने अमेरिका चली गई हैं तो प्रधान मंत्री भी विदेशी दौरे पर हैं ? बाकी छुटभैय्ये अपन अपने हिसाब से आँगन नाप रहे है और कह रहे है आँगन टेढ़ा है ? यह तो उसी प्रकार हुआ नाच ना आये आँगन टेढ़ा वाली कहावत चरिर्तार्थ हो रही है ?

एस पी सिंह ! मेरठ

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