अक्सर प्रधान मंत्री जी स्वयं ही कहते हैं की वह केवल 3 से 4 घंटे ही आराम करते है ! जब वह ऐसा कहते हैं तो अविश्वास का कोई कारन ही नहीं बनता है ! क्योंकि यह कोई सोंच भी नहीं सकता की देश का प्रधान मंत्री कभी झूंठ भी बोल सकता है ? इस लिए हम भी मान ही लेते हैं ? लेकिन यह भी सच है की उनकी मौज मस्ती में कुछ कमी नहीं है इसलिये कोई आराम करे या मौज मस्ती करे बात एक ही है ? क्योंकि जिस समय यह मालूम हो चूका था की पठानकोट एयर बेस पर आतंकवादी हमला हो चूका है तो प्रधान मंत्री उस पर गहन चिंतन करने और अट्टेक के विरुद्ध नेतृत्व करने के बजाय दिल्ली से बेंगलुरु पहुँच गए सांस्कृतिक कार्य क्रम में भाग लेने के लिए और वहां 24 घंटे से अधिक रहे 3 जनवरी की सायंकाल को ही वापस आये और उधर रक्षा मंत्री गोवा में छुट्टी मना रहे थे ? जवान मरते रहे और उधर गृह मंत्री बोलते रहे की मुहँ तोड़ जवाब देगें और एक समय तो मुठभेड़ समाप्त होने की घोषणा ही कर दी ? जब 3 तारिख को गोली बारी जारी रही तो सरकार बौखला गई उसके पास कोई जवाब भी नहीं बन पा रहा है ? अब 40 घंटे बाद आदरणीय प्रधान मंत्री जी को मौज मस्ती के बाद देश की सुरक्षा का ख्याल आया तो उच्च अधिकारीयों के साथ मीटिंग कररहे हैं जब तक एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित 7 जवान अपनी जान गवां चुके है तथा 20 से अधिक जवान घायल हो चुके हैं ? अब ऐसा कौन सा देश भक्त भारतीय होगा जो प्रधान मंत्री को मन से देश का सेवक स्वीकार कर सकता है या यह मान सकता है की प्रधान मंत्री 18 से 20 घंटे तक देश के लिए कार्य करते है ? जबकि एक आतंकवादी आत्मघाती घटना के 40 घंटे बाद ही प्रधान मंत्री को मीटिंग करने का होश आता है ? वाह रे देश के कर्णधार ? देख ली तेरी देश भक्ति ? और तेरा हौशला भी ?
एस पी सिंह, मेरठ ।